Surguja Training Fraud Case: राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकार उनके रोजगार सहित उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन पहाड़ी कोरवाओं को सरकारी योजनाओं का लाभ कागजों पर ही मिलता दिखाई दे रहा है. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आरोप लगाये गए हैं कि इलेक्ट्रीशियन ट्रेंनिग के नाम पर 9 लाख 58 हजार 500 रुपए की राशि राज्य समन्वयक ग्रामीण साक्षरता सेवा संस्थान एनजीओ द्वारा डकार लिया गया है.


सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड के ग्राम घोघरा में पहाड़ी कोरवाओं को एनजीओ के माध्यम से इलेक्ट्रीशियन की ट्रेनिंग 2019-20 में दिया गया. इस ट्रेनिंग का उद्देश्य था कि 18 वर्ष से 40 वर्ष तक के पहाड़ी कोरवाओं को इलेक्ट्रिशियन का ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वरोजगार मुहैया कराना, लेकिन 27 पहाड़ी कोरवाओं को महज 3 दिनों की ट्रेनिंग के बाद प्लास, पेचकस, सहित विद्युत उपकरण जोड़ने संबंधी किट दिए गए. इस दौरान इन्हें खाने के तौर पर तीन-तीन समोसे भी दिए गए और उन्हें एनजीओ के द्वारा यह भी कह दिया गया कि आपकी ट्रेनिंग पूरी हो गई.


इलेक्ट्रीशियन ट्रेनिंग में गड़बड़ी की जांच


इस मामले की जानकारी संबंधित अधिकारी आदिवासी आयुक्त को दी गई तो उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिशियन सिखाने के लिए पहाड़ी कोरवाओं को 35000 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से दिया गया है. वहीं इसमें गड़बड़ी करने की बात सामने आ रही है. जिसका मौके पर जाकर जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी. इधर पुलिस विभाग के एसडीओपी ने कहा एनजीओ के माध्यम से इलेक्ट्रीशियन ट्रेनिंग में गड़बड़ी की जांच की जा रही है जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.


आदिवासी सहायक आयुक्त देवराम प्रसाद नागेश ने बताया कि पहाड़ी कोरवा हितग्राहियों को ट्रेनिंग देना था. प्रत्येक हितग्राही के लिए 35 हजार व्यव का प्रावधान रहता है. उन्होंने आगे कहा कि जनपद पंचायत से पता करना पड़ेगा कि ट्रेनिंग की जिम्मेदारी किस एनजीओ को दी गई थी. गड़बड़ी की बात संज्ञान में आई है, इसकी जांच की जाएगी, और जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.


सीतापुर एसडीओपी ध्रुवेश जायसवाल ने कहा कि बतौली विकासखंड के घोघरा और सलेयाडीह में पहाड़ी कोरवाओं को इलेक्ट्रीशियन ट्रेनिंग के नाम पर भ्रष्टाचार की शिकायत मिली है, जिसकी जांच चल रही है, जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी. जितने भी हितग्राही हैं उन्हें नोटिस दिया गया है, लेकिन अब तक कोई कथन के लिए नहीं आया है. अगर भ्रष्टाचार की शिकायत है तो भ्रष्टाचार अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी. 


बहरहाल, इस मामले की जांच जिला प्रशासन पिछले कई महीनों से करा रहा है, लेकिन अब तक जांच पूरी नहीं हो सकी है. इस एनजीओ के माध्यम से पेंशन पाने वाली बुजुर्ग महिला व पुरुषों को भी इलेक्ट्रिशियन का ट्रेनिंग दस्तावेजों पर दे दिया गया है.


अधिकारी ने दी ये जानकारी


ऐसे में लाखों रुपए डकारने वाले इस एनजीओ पर सवाल उठना तो लाजमी है. अब मामला प्रकाश में आया है तो प्रशासनिक अधिकारी इस मामले की जांच कर कार्रवाई की बात कह रहे है. अब देखना होगा कि पहाड़ी कोरवाओं के उत्थान के लिए आई राशि को डकारने के मामले के एनजीओ के खिलाफ जल्द जांच कार्रवाई होती है, या जांच प्रक्रिया को लंबा खींचकर दबाने का प्रयास किया जाएगा, क्योंकि इस मामले की पहले भी जांच की बात कही गई थी, जो अब तक पूरी नहीं हो सकी है.


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