Chhattisgarh Assembly Election Results 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा 2023 के अप्रत्याशित नतीजों के बीच जहां कांग्रेस के दिग्गज मंत्री को हार का मुंह देखना पड़ा है. तो वहीं एक विशाल बहुमत लेकर विधानसभा पहुंची. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के लिए अब सीएम फेस तय करने की चुनौती सामने आने लगी है. इसी बीच सरगुजा संभाग की 14 की 14 सीट जीतने वाली बीजेपी के पास संभाग से मुख्यमंत्री के तीन बड़े दावेदार नजर आ रहे हैं. जिनमें से किसी के सर ताज लगेगा या नहीं ये तो वक्त बताएगा.


रेणुका सिंह छत्तीसगढ़ की पहले नंबर की विधानसभा भरतपुर सोनहत विधानसभा से चुनाव जीतकर आई हैं. उन्होंने कांग्रेस के सीटिंग एमएलए गुलाब कमरों को हराया है. रेणुका सिंह सरगुजा संभाग ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिला विधायक का एक बड़ा चेहरा हैं. रेणुका सिंह फिलहाल छत्तीसगढ़ से एकलौती केंद्रीय राज्य मंत्री हैं. रेणुका सिंह ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1999 में की, जब वो सूरजपुर जिले के रामानुजनगर जनपद पंचायत के सदस्य का चुनाव जीत कर आईं.


सीएम फेस की रेस में रेणुका सिंह 


इधर उभरती आदिवासी महिला चेहरे की ताकत को बीजेपी नेतृत्व ने समझ लिया और सन् 2000 में बीजेपी ने रेणुका सिंह (Renuka Singh) को बीजेपी मंडल अध्यक्ष बना दिया. फिर 2000 में रेणुका समाज कल्याण बोर्ड की सदस्य रहीं और 2003 में पहली बार सरगुजा संभाग की रामानुजनगर विधानसभा से विधायक चुनी गईं. उसके बाद वो दूसरी बार 2008 में फिर विधायक बनीं. विधायक काल में रेणुका महिला एवं बाल विकास मंत्री और सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष रहीं. जिसके बाद रेणुका 2019 में सरगुजा संसदीय क्षेत्र से सांसद बनी और फिलहाल मोदी सरकार में जनजातीय मामलों की केंद्रीय राज्य मंत्री हैं. तेज तर्रार और प्रशासनिक कसावट रखने में माहिर रेणुका सिंह सीएम फेस के रूप में बड़ी आदिवासी महिला विधायक मानी जान रही हैं.


रामविचार नेताम माने जा रहे सीएम फेस के दावेदार 


अम्बिकापुर के पीजी कालेज से स्नातक तक की पढ़ाई करने वाले रामविचार नेताम (Ramvichar Netam) वैसे तो छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे हैं पर 1962 में सनावल गांव में जन्मे रामविचार नेताम उस दौर की पाल विधानसभा से पहली बार 1990 में विधायक चुने गए, जिसके बाद दूसरी बार 1993 से तीसरी बार 1998 , चौथी बार 2003 और 2008 में पांचवीं बार विधायक बनकर सदन तक पहुंचे. हालांकि, 2013 में कांग्रेस के बृहस्पति सिंह (Brihaspat Singh) ने उनको चुनाव में हरा दिया था.


वैसे पांच बार के इस बड़े आदिवासी नेता को हार के बाद बीजेपी आलाकमान ने 2015 में राज्यसभा बुला लिया. 1990 से 2013 तक पांच बार विधायक रहते हुए नेताम ने गृह जेल, जल संसाधन, उच्च शिक्षा, राजस्व और आदिम जाति कल्याण विभाग के मंत्री का दायित्व भी बखूबी निभाया. इतना ही नहीं रामविचार नेताम 2001 से 2003 तक अविभाजित सरगुजा जिले के अध्यक्ष रहें. वो बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव, बीजेपी अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं. उनकी इस प्रोफाइल के कारण सरगुजा संभाग से वो भी सीएम का बड़ा फेस माने जा रहे हैं. 


कौन हैं विष्णुदेव साय?


2023 चुनाव के दौरान अमित शाह ने जशपुर की एक चुनावी सभा में आम लोगों से कहा था कि आप विष्णुदेव साय (Vishnu Deo Sai) को जिता दीजिए. इनको बड़ा आदमी बनाने की जिम्मेदारी मेरी है. जिसके बाद से विष्णुदेव साय भी सीएम के दावेदार माने जाने लगे हैं. इस बार जशपुर की कुनकुरी विधानसभा से जीतकर कर आए बीजेपी विधायक विष्णुदेव साय के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1989 में ग्राम पंच के रूप में हुई. साय पहली बार 1990 में उस दौर की तपकरा विधानसभा से बीजेपी विधायक बनकर मध्यप्रदेश विधानसभा पहुंचे थे.


वो 2020 से 2022 तक छत्तीसगढ़ बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं. विष्णुदेव साय तीन बार रायगढ़ संसदीय सीट से लोकसभा तक पहुंच चुके हैं. 2014 में साय जब तीसरी बार सांसद चुने गए. तो उन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार में केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री के रूप में काम करने का अवसर मिला. मृदुभाषी सरल स्वभाव के विष्णुदेव साय भी सरगुजा संभाग से चुने गए उन विधायकों की फेहरिस्त में शामिल हैं. जिनके सिर सीएम का ताज सज सकता है.


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