छत्तीसगढ़ सरकार (Chhattisgarh Government) ने नगरीय निकाय की संपत्तियों को लेकर बड़ा फैसला किया है. नए आदेश के मुताबिक अब नगर निगम में 10 करोड़, नगर पालिकाओं में 4 करोड़ और नगर पंचायतों में डेढ़ करोड़ तक की संपत्ति बिक्री का फैसला जिला कलेक्टर कर सकेंगे. इसके लिए सरकार ने नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में अचल संपतियों की बिक्री का अधिकार कलेक्टरों को सौंप दिया गया है. सरकार ने इसको लेकर राजपत्र में अधिसूचना का प्रकाशन भी कर दिया है.


निकाय की संपत्ति कलेक्टर बेचेंगे
दरअसल बुधवार को इस संबंध में राज्य सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है. नगरीय निकाय की संपतियों के लिए जिला कलेक्टर को अधिकार दिया गया. बताया गया है कि इससे नगरीय निकाय के आय में वृद्धि हो सकती है. वहीं सरकार के फैसले के अनुसार इस प्रक्रिया के लिए जिला कार्यालय में एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया जाएगा जो परीक्षण कर अनुमोदन के लिए कलेक्टर को पेश करेंगे. नए आदेश के बाद अब राजधानी रायपुर समेत कई छोटे-बड़े नगरों से बिक्री के इंतजार में पड़ी दुकानों की नीलामी हो सकेगी. 


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नगरीय प्रशासन ने जारी किया निर्देश
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों, नगर निगमों के आयुक्त, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को सूचित करते हुए इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं. राज्य शासन ने परिपत्र जारी कर नगर निगमों में सम्पत्तियों की बिक्री के लिए छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 80 और इसके संदर्भ में बनाए गए छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम (अचल संपत्ति का अंतरण) नियम 1994 और नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों में छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 109 और इसके संदर्भ में बनाए गए छत्तीसगढ़ नगर पालिका (अचल संपत्ति का अंतरण) नियम 1996 के प्रावधानों का अवलोकन कर प्रत्यायोजित अधिकारों की सीमा तक नियमानुसार बिक्री की कार्यवाही करने कहा है.


अब क्या होगा फायदा
इससे पहले नगरीय निकाय अपनी संपत्ति पर दुकान बनाकर इसे बेचने के लिए बेस प्राइस तय करते थे. इसके बाद टेंडर की प्रक्रिया होती थी लेकिन इसका बेहतर लाभ निकाय को नहीं मिल रहा था. अब कलेक्टर को नगरीय निकाय की संपत्ति को बिक्री का अधिकार दिया गया है. जानकारों का कहना है कि इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और नगरीय निकाय को ज्यादा लाभ मिल सकता है. बता दें की इस तरह का अधिकार सरकार ने रायपुर शहर में पहली बार रायपुर कलेक्टर को दिया था. यह  गोल बाजार के संबध में दिया गया था.


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