Chhattisgarh CM Vishnu Deo Sai Public Meeting: छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सीएम हाउस खाली होने तक राज्य अतिथि गृह पहुना में ठहरे हुए हैं. सीएम हाउस में फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं. बघेल के जाने के बाद विष्णु देव साय सीएम हाउस में शिफ्ट हो जाएंगे, लेकिन साय ने पहुना में ही कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों से मिलना शुरू कर दिया है. शुक्रवार (15 दिसंबर) को भी भारी भीड़ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात करने पहुंची. इसी दौरान जशपुर के जागेश्वर राम भी पहुंचे. जिन्हें मुख्यमंत्री भीड़ में ही पहचान लिया और उन्हें गले से लगा लिया. जागेश्वर कौन है जो मुख्यमंत्री के इतने खास है. चलिए आपको बताते हैं.


दरअसल, शुक्रवार (15 दिसंबर) को राज्य अतिथि गृह पहुना के बाहर अलग-अलग जिलों के लोग सीएम विष्णु साय से मुलाकात करने पहुंचे. इसी दौरान जागेश्वर भी पहुना पहुंचे थे. उनका मुख्यमंत्री साय से बढ़िया परिचय था, लेकिन जागेश्वर सामान्य रहने की अपनी खासियत के साथ भीड़ के साथ खड़े रहे और जागेश्वर राम बैरिकेड के उस पार थोड़े संकोच के भाव से अपनी बारी का इंतजार करते हुए खड़े हो गए, लेकिन विष्णु देव साय जब अपने परिचितों से मिल रहे थे तब उनकी नजर जागेश्वर पर पड़ी और तुरंत उन्होंने जागेश्वर को अपने पास बुला लिया. 


सीएम ने भीड़ से जागेश्वर को बुला कर लगाया गले 
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा आ ऐती आ, उहां का खड़े हस, मोर कोती आ. फिर उन्होंने जागेश्वर राम को गले लगाया, पूरे समय साथ ही रहे और समय-समय पर आत्मीय चर्चा करते रहे. जागेश्वर ने उन्हें कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के 18 लाख लोगों को आवास देने के निर्णय पर बधाई दी. उन्होंने कहा कि इस निर्णय से सरगुजा संभाग की विशेष पिछड़ी जनजाति के हजारों बिरहोर लोगों को आवास मिलने का रास्ता खुल गया है, जो घास-फूस की झोपड़ियों में हर साल सरगुजा की कड़ी सर्दी गुजारते हैं.


सीएम साय और जागेश्वर में क्या है कनेक्शन?
आपको बता दें कि जागेश्वर राम और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बीच कनेक्शन 40 साल पुराना है. इसके पीछे के वजह की बात करें तो प्रदेश की अति पिछड़ी जनजाति बिरहोर है.जागेश्वर राम महकुल यादव जाति से आते हैं. जब जागेश्वर युवा थे तब पहली बार वे बिरहोर जनजाति के संपर्क में आये तो इस विशेष पिछड़ी जनजाति की बेहद खराब स्थिति ने उन्हें बेहद दुखी कर दिया. क्योंकि बिरहोर पूरी दुनिया से कटे थे. शिक्षा नहीं थी, वे झोपड़ियों में रहते थे. उसी दिन उन्होंने संकल्प लिया कि अपना पूरा जीवन बिरहोर जनजाति के बेहतरी में लगाऊंगा. तब इनकी मुलाकात तत्कालीन सांसद विष्णु देव साय से हुई.


राज्य अलंकरण से पुरस्कृत है जागेश्वर राम 
इसके बाद जागेश्वर के सुझाव पर विष्णुदेव साय ने बिरहोर आदिवासियों के लिए भीतघरा और धरमजयगढ़ में आश्रम खोले. शुरूआत में ऐसी स्थिति थी कि लोग आश्रम से अपने बच्चों को घर ले जाते थे. लेकिन जब आश्रम में पहली पीढ़ी के बच्चे पढ़कर निकले और उनके जीवन में सुखद बदलाव आये तो बिरहोरों ने अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू किया. इस उपलब्धि के लिए जागेश्वर राम को राज्य अलंकरण समारोह में उन्हें शहीद वीर नारायण सिंह पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.


'सीएम ने बिरहोर जनजाति के दुखदर्द को समझा'
शुक्रवार (15 दिसंबर) को जागेश्वर ने विष्णुदेव साय से मुलाकात के बाद बताया कि मुख्यमंत्री ने सांसद रहते बिरहोर जनजाति के दुखदर्द को समझा. बिरहोर आदिवासी झोपड़ियों में सर्द रातें बिना खाट के गुजारते थे. तत्कालीन सांसद विष्णु देव साय ने उनके लिए खाट-पलंग की व्यवस्था की. वे 1980 से ही उनके साथ हैं और पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जनजाति के इलाकों में जब भी दौरे पर जाते हैं, जागेश्वर राम को साथ ही रखते हैं.


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