Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur News: छत्तीसगढ़ में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जर्जर स्कूल, मरम्मत योग्य स्कूल, अतिरिक्त कक्ष के निर्माण के लिए मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की शुरुआत की. इसके तहत जिलों को लाखों रुपए आवंटित किए गए. और आरईएस विभाग को स्कूलों की मरम्मत की जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन स्कूल खुलने से 20 दिन पूरे हो चुके है. मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (MCB) जिले में कई स्कूल ऐसे हैं. जहां स्कूली बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल में पढ़ाई करने पर मजबूर है. 


दरअसल, एमसीबी जिले के दूरस्थ वनांचल क्षेत्र विकासखंड भरतपुर से लगभग बीस किलोमीटर दूर कर्री गांव का प्राथमिक शाला भवन जर्जर हो गया है. इसके बावजूद जर्जर भवन की मरम्मत व नवनिर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है. स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने पर मजबूर हैं. वहीं अब स्कूल के जर्जर भवन में शिक्षण कार्य के लिए पालक भी अपने बच्चों को इस स्कूल में भेजने से कतराने लगे हैं. जर्जर व खस्ताहाल भवन के छत से टपकते पानी के बीच गांव के बच्चे मौत के साये में पढ़ाई कर रहे हैं. 


शिक्षा के मंदिर में कभी भी हो सकता है मौत का तांडव 
बता दें कि, भरतपुर विकासखंड के ग्राम कर्री में आदिम जाति कल्याण विभाग प्राथमिक शाला का संचालन किया जाता है. दुर्दशा का शिकार यह विद्यालय भवन काफी जर्जर हालत में होने के कारण शिक्षा के मंदिर में कभी भी मौत का तांडव हो सकता है. बरसात के दिनों में छत की सीलिंग का प्लास्टर अचानक टूटकर नीचे गिर जाता है, जिससे कभी भी चपेट मे आए बच्चों की जान पर आफत आ सकती है. 


'भवन को देखने अब तक कोई नहीं आए हैं'
बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि जर्जर स्कूल भवन के जीर्णोद्धार के लिए कई बार मांग किया गया, पर स्कूल भवन की हालात जस की तस बनी हुई है. इस स्कूल में गांव के 26 बच्चे पढ़ाई करते है. स्कूल की प्रधान पाठक उर्मिला सिंह ने बताया कि इस जर्जर स्कूल भवन के बारे में संकुल के माध्यम से सूचना पहले ही दे दिए हैं, पर भवन को देखने अब तक कोई नहीं आए हैं. बारिश में छत से पानी टपकता है.


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