Bilaspur News: स्लीपर कोच में आपने कई बार सफर किया होगा.  स्लीपर कोच में जो यात्रीयों के लिए सुविधाएं होती है उसे सभी जानते होंगे. जब लगभग उन सभी सुविधाओं के साथ स्लीपर कोच को अब ऑफिस में तब्दील कर दिया जाए तो ये लोगों को हैरान कर देगी. दरअसल छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बिलासपुर में बिलासपुर रेलवे मंडल (Bilaspur Railway Division) ने हैरान कर देने वाला कमाल का जुगाड लगाया है. बोगी को ऑफिस कार्य के लिए उपयोग कर रही है. इस पहल ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. इसकी प्रदेश भर में काफी चर्चा हो रही है.


एक बोगी में 6 कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था
दरअसल बिलासपुर रेल मंडल ने कबाड़ से जुगाड लगाया है. नई बिल्डिंग बनने तक कुछ रेलवे कर्मचारियों के लिए अस्थाई व्यवस्था की गई है. ट्रेन की बोगी अपको बाहर से ट्रेन की तरह ही दिखाई देगी क्योंकि बोगी यार्ड की पटरी पर ही खड़ी है. जब आप सीढ़ियों के सहारे अंदर कदम रखेंगे तो हैरान हो जाएंगे. यह पूरी तरह से व्यवस्थित ऑफिस की तरह दिखेगी. कर्मचारी अपना सारा काम कर रहे हैं. इस बोगी की सीटों को निकालकर टेबल, कुर्सी, अलमारी और फाइल रखने की व्यवस्था की गई है. इस ऑफिस में 5-6 लोगों के बैठने के लिए दो दो कंपार्टमेंट का एक एक रूप तैयार किया गया है. 


अस्थाई ऑफिस बनाया गया
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सीपीआरओ साकेत रंजन ने बताया कि कोचिंग डिपो में कुछ नई बिल्डिंग बननी थी. कुछ नई लाइन वहां बनाई जानी थी. इस वजह से मोडिफिकेशन के तहत कुछ बिल्डिंग को तोड़ा गया था. तब तक नई बिल्डिंग बनी नहीं थी तो जो हमारे कोच थे उसका बेस्ट उपयोग करते हुए उसको अब कार्यालय के रूप में परिवर्तित किया गया है. नए भवन के बनने की वजह से अस्थाई ऑफिस की तरह कोच में से ऑफिस के काम होंगे.


स्लीपर कोच की पूरी सुविधा 
खास बात यह है कि, इसमें ज्यादा कुछ बदलाव नहीं किया गया है. स्लीपर कोच में रहने वाली सुविधाएं जस की तस हैं. इसे स्लीपर कोच की तरह ही बरकार रखा गया है. इसमें टॉयलेट , वाशबेसिन, लाइट, पंखे स्लीपर कोच के ही लगे हुए है. सीपीआरओ साकेत रंजन ने आगे बताया कि, अभी एक कोच में बना है. जब हमारी नई बिल्डिंग बन जाएगी, नए कार्यलय बन जाएंगे उसके बाद कार्यालय को नए भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा.
 
बोगियों का ऐसे किया जा सकता है इस्तेमाल
भारतीय रेलवे के पास बहुत सारी ऐसी कोच पड़ी है जिसका उपयोग नहीं हो रहा है. ऐसी बोगियों का सदुपयोग किया जा सकता है. इस तरह के जुगाड पर साकेत रंजन ने कहा कि, दूरस्थ अंचलों जहां नए भवन बनाना चुनौती हो तो ऐसे कोच जिनकी आयु पूरी हो चुकी हो उसको डेवलप किया जा सकता है. जब तक कोच ट्रेन के साथ चलती है तो ठीक है लेकिन जब जब बोगी का आयु समाप्त हो जाए या नहीं चल रही है तो उसे भवन के रूप में उपयोग किया जा सकता है.


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