Bastar News: छत्तीसगढ़ के बस्तर की बहुचर्चित जगदलपुर- रावघाट रेल परियोजना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता नीलिमा बेल सरिया और बली नागवंशी को राहत देते हुए 6 हफ्ते में जवाब देने का आदेश जारी किया है. दरअसल, बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने दोनों याचिकाकर्ताओ को नोटिस जारी कर रावघाट रेल परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान मुआवजा राशि में गड़बड़ी के मामले में 15 दिनों के अंदर  करोड़ों रुपए मुआवजा राशि शासन को वापस करने नोटिस जारी किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं के द्वारा लगाए गए पिटीशन में उन्हें राहत देते हुए अगले 6 हफ्तों में जवाब देने आदेश जारी किया है.

मुआवजा राशि मे गड़बड़ी करने का लगा है आरोप दरअसल, जगदलपुर से राजधानी रायपुर तक रेल मार्ग के विस्तार के लिए राव घाट रेल परियोजना की शुरुआत की गई थी, इस रेल परियोजना के दौरान जगदलपुर शहर के पल्ली गांव में  स्टेशन बनाया जाना था. इसके लिए जमीन मालिकों से भूमि अधिग्रहण किया गया, लेकिन इस भूमि अधिग्रहण के मामले में जमीन मालिक नीलिमा बेलसरिया और बली नागवंशी पर मुआवजा राशि में करोड़ों रुपये गबन करने का आरोप लगा है. 

15 दिनों के अंदर मुआवजा राशि जमा करने नोटिस जारी कियाइस मामले में कार्रवाई करते हुए बस्तर कलेक्टर चंदन कुमार ने दोनों को 15 दिनों के अंदर गबन किए गए मुआवजा राशि जमा करने नोटिस जारी किया, लेकिन 15 दिन होने से पहले ही याचिकाकर्ताओं ने अपने आप को बेकसूर बताते हुए अपने बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर किया और जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी.अगले 6 हफ्ते में जवाब देने को कहा है, फिलहाल अब इस मामले में एक बार फिर रावघाट रेल परियोजना के शुरू होने को लेकर लगाम लग गया है क्योंकि जब तक इस मामले में याचिकाकर्ताओं के द्वारा जवाब नहीं मिल जाता. इन पर लगे आरोप सिद्ध नहीं हो जाते तब तक रावघाट रेलवे परियोजना का काम अटकने की पूरी गुंजाइश है और जगदलपुर से रायपुर तक रेल लाइन का काम  दोबारा शुरू होने में काफी समय लग सकता है.

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