Ambikapur Schools News: अम्बिकापुर (Ambikapur)  में निजी स्कूलों की मनमानी रूकने का नाम नहीं ले रही है. यहां स्कूल दाखिले के नाम पर मोटी रकम वसूलने के बाद अभिभावकों को मनमानी कीमत पर कॉपी-किताब और ड्रेस खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं. निजी स्कूलों की मनमानी के विरूद्ध प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने से स्कूल प्रबंधन अपनी मनमानी पर उतर आया है.


मार्च में परीक्षा परिणाम घोषित करने के बाद निजी स्कूलों ने नए शिक्षा सत्र की कक्षाएं प्रारंभ कर दी है. आगामी कक्षा में प्रवेश के लिए स्कूल प्रबंधन विकास निधि के साथ ही विभिन्न मदों के नाम पर मोटी राशि वसूल रहे हैं. निम्न कक्षा के विद्यार्थियों का पुस्तकालय और कम्प्यूटर से वास्ता नहीं पड़ता, लेकिन स्कूल प्रबंधन प्रायमरी कक्षा के बच्चों की फीस में भी विभिन्न मदों की राशि वसूल रहे हैं.


प्रवेश के साथ ही अभिभावकों को पाठ्य सामग्री और ड्रेस सहित अन्य संबंधित सामग्रियों की सूची थमाई जा रही है. स्कूलों ने पाठ्य सामग्री, ड्रेस और जूते-मोजे तक के लिए अलग- अलग दुकानों का निर्धारण किया है. सभी सामग्रियों के लिए अलग-अलग दुकानें निर्धारित करने पर अविभावक व्यवसाई स्कूल प्रबंधन पर कमीशन खोरी का आरोप लगाते रहे हैं. 


अभिभावक संघ कई बार कर चुका है शिकायत


अभिभावक संघ कई बार जिला प्रशासन और  विभाग से इसकी शिकायत भी कर चुका है, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हो सका है. अभिभावकों द्वारा मनमानी पर सवाल उठाने पर स्कूल प्रबंधन सीधे उनके बच्चों को बाहर निकालने की धमकी देता है.


निजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को अनावश्यक परेशान करने और परीक्षा में फेल होने के डर इस से मनमानी की शिकायत करने की हिम्मत नहीं कर पाते और चुपचाप सहते रहते हैं. लेकिन मनमाने तरीके से पाठ्यक्रम में बदलाव करने और कमीशन के लिए निजी प्रकाशकों की पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल करने के विरोध में अभिभावक संघ फिर से धरना प्रदर्शन करने तैयारी कर रहा है.


अम्बिकापुर शहर के नामी निजी स्कूलों ने नए शिक्षा सत्र में पाठ्यक्रम को बदल दिया है. प्रायमरी से लेकर हायर सेकेंडरी तक की पुस्तकों को बदला गया है. स्कूलों ने पाठ्यक्रम में निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकों शामिल किया है. शासन द्वारा सीबीएसई पाठ्यक्रम का निर्धारण किया गया है. निधारित पाठ्यक्रम के आधार पर एनसीईआरटी ने हर कक्षा के लिए पुस्तकें प्रकाशित की हैं.


एनसीईआरटी की पुस्तकें काफी सस्ती भी हैं, लेकिन निजी स्कूलों ने अच्छी पढ़ाई के नाम पर निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकों को लिस्ट में शामिल किया है. आलम यह है कि मीडिल कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकों और कॉपी पर अभिभावकों को हर बच्चे के लिए 6 हजार रूपये से अधिक का खर्च करना पड़ रहा है. स्कूलों द्वारा निर्धारित कॉपियां भी काफी महंगी है.


खुद बांट रहे सामग्री


निजी स्कूल प्रबंधन खुद भी बच्चों को टाई, परिचय पत्र और खास किताब कॉपी के नाम पर मोटी राशि वसूल रहे हैं. कई निजी स्कूल बच्चों को स्कूल ड्रेस उपलब्ध करा रहे हैं. नामी स्कूलों ने सभी सामग्रियों के लिए अलग-अलग दुकानें निर्धारित की हैं. व्यवसायी भी ड्रेस, पुस्तक और अन्य संबंधित साम्रगी की मनमानी कीमत वसूल रहे हैं. निजी स्कूलों की मनमानी से नाराज कई अभिभावकों ने अपने बच्चों का प्रवेश शासकीय स्कूलों में कराया है, जबकि बड़ी संख्या में अभिभावक इन्हीं स्कूलों में अपने बच्चों का प्रवेश कराने के लिए प्रभावशाली लोगों से पैरवी करा रहे हैं.


जिला शिक्षा अधिकारी ने 5 अप्रैल को सभी 65 निजी स्कूलों को नोटिस जारी कर एनसीईआरटी और सीबीएसई की पाठ्यपुस्तकों को लागू करने के संबंध में पालन प्रतिवेदन मांगा था. प्रतिवेदन के लिए विभाग ने 5 दिन का समय दिया था, लेकिन निजी स्कूलों ने डीईओ के पत्र को संज्ञान में नहीं लिया. न ही नोटिस का जवाब देना उचित समझा. निजी स्कूलों के नियंत्रण की जिम्मेदारी संभालने वाले विभाग की स्थिति से निजी स्कूलों का मनमानी का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है. 


पालकों को सन्दर्भ पुस्तक लेने की बाध्यता नहीं


एनसीईआरटी और एससीईआरटी के अलावा अन्य पुस्तकें स्वेच्छा से खरीद सकते हैं. निजी स्कूल प्रबंधन की बाध्यता नहीं होगी. कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जिले के सभी निजी स्कूल संचालक, प्राचार्य और स्कूल प्रबंधन को पत्र जारी कर अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए हैं.


जारी पत्र में कहा गया है कि निजी विद्यालय एनसीईआरटी और एससीईआरटी के अलावा अन्य पुस्तक को संदर्भ पुस्तक के रूप में उपयोग करना चाहते हैं, तो उक्त पुस्तक की उपलब्धता स्कूल की लाइब्रेरी में सुनिश्चित किया जाए. पालक अपनी स्वेच्छा से पुस्तक ले सकते हैं.


इसके लिए विद्यालय प्रबंधन के द्वारा बाध्य न किया जाए. वहीं अभिभावक संघ के अध्यक्ष निलेश सिंह ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक त्रस्त हैं. शीघ्र ही मनमानी से प्रशासन को अवगत कराया जाएगा, साथ ही विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा.


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