रायपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के तखतपुर ब्लॉक में 45 से अधिक गायों की मौत हो गई. जानकारी के मुताबिक आवारा गायों को पंचायत भवन में रखा गया था. इतनी बड़ी संख्या में एक साथ गायों को रखने के कारण गायों की मौत दम घुटने से भी हो सकती है, ऐसा बिलासपुर के एसपी प्रशांत अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ को बताया है.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 20 जुलाई को ही गोधन न्याय योजना की शुरुआत की है, जिसके तहत 2 रुपये किलो गोबर ख़रीदा जा रहा है. ऐसे में 45 से ज़्यादा गायों की मौत पर अब राजनीति शुरू हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने ट्वीट कर लिखा है, "गौ हत्यारी भूपेश बघेल सरकार को गोबर की चिंता है, लेकिन गोठानों की बदहाल व्यवस्थाओं से भूख व दम घुटने से मर रहीं गायों के प्रति संवेदना शून्य है. युवा आत्महत्या कर रहे हैं. क्वॉरन्टीन सेंटर में लोग मर रहे हैं. गायें मर रही हैं. हाथी मर रहे हैं. सरकार कुंभकर्णी नींद सो रही है."
बिलासपुर जिले के मेड़पार गांव के छोटे से पंचायत भवन में जो गाय मरी हैं, उन गायों को कचरे की तरह ठूसकर भरा गया था. आज सुबह जब गांव वालो ने गायों के चीखने की आवाज सुनी तो गौठान में उन्हें 45 से अधिक गाय मरी हुईं मिलीं. वही कुछ जिंदा गायों को गांव वालों ने बाहर निकाला. जो घायल गाय थीं, उनका इलाज किया गया, जबकि मरी गायों का पोस्टमार्टम कर उन्हें दफ़ना दिया गया.
छत्तीसगढ में भूपेश बघेल सरकार ने नरवा ,गरूवा घुरवां, बाड़ी योजना शुरू की थी, जिसमें हर गांव में एक गौठान का निर्माण होना था. जहां आवारा मवेशियों के साथ ग्रामीणों की गायों को भी रखा जाता है, लेकिन मेड़पार गांव में गौठान की जगह पंचायत भवन में ही गायों को ठूस दिया गया था. जिसकी वजह से गायों की मौत हुई है. उधर छत्तीसगढ़ सरकार में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस मामले में जवाब देते हुए कहा है कि अधिकारियों को मौक़े पर भेजा गया. जांच करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके अलावा दोषियों पर एफआईआर करने के भी बिलासपुर कलेक्टर को निर्देश दिया गया है.
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