जिस टाइल गोदाम में अधिवक्ता की अधजली लाश मिली है, वह उनके ही मित्र विवेक उर्फ विक्की का है. वहीं, इस दौरान बुलंदशहर पुलिस खेतों और जंगलों में अधिवक्ता को तलाशती रही. बताया जा रहा है कि अधिवक्ता धर्मेंद्र चौधरी की विवेक से 70 लाख रुपये के करीब का लेनदेन था. जिसके कारण इस घटना को अंजाम दिया गया है. अधिवक्ता की हत्या के बाद खुर्जा इलाके में तनाव व्याप्त है. जिसको देखते हुए भारी पुलिस बल के साथ पीएसी को तैनात किया गया है.
गौरतलब है कि धर्मेंद्र चौधरी वकालत के साथ-साथ प्रोपर्टी डीलिंग का काम भी करते थे. वह 25 जुलाई की रात संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हो गए थे. बताया जा रहा है धर्मेंद्र अपने मित्र विवेक उर्फ विक्की के घर खाना खाने गए थे. अधिवक्ता की लापता की सूचना के बाद पुलिस हरकत में आ गई. पुलिस खेत-खलिहान से लेकर जंगलों और नहरों में किसी अनहोनी की आस में अधिवक्ता को तलाशती रही मगर कोई सुराग नहीं लगा.
इसके बाद पुलिस ने विवेक से पूछताछ की. विवेक ने पुलिस को बताया कि धर्मेंद्र उसके पास आए जरूर थे लेकिन किसी का फोन आने पर निकल गए. पुलिस ने जब धर्मेंद्र की मोबाइल डिटेल्स निकालीं तो पुलिस को विवेक पर शक हुआ. जिसके बाद पुलिस ने विवेक का लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने को कहा. पहले तो विवेक तैयार हो गया लेकिन बाद में मुकर गया. जिसके बाद पुलिस ने देर रात पुलिस फोर्स के साथ विवेक के गोदाम की तलाशी शुरू की. तलाशी के दौरान धर्मेंद्र का शव गोदाम में ही दफन मिला. अधिवक्ता पर धारदार हथियार से वार किए गए थे. वहीं, पहचान मिटाने के लिए शव को आग के हवाले किया गया था.
फिलहाल, पुलिस ने इस मामले में गोदाम मालिक विवेक और उसके दो नौकरों को हिरासत में ले लिया है. वैसे तो पुलिस ने भले ही हत्यारोपी और उसके नौकरों को हिरासत में ले लिया हो मगर चौकी के पीछे हुई हत्या ने पुलिस की मुस्तैदी को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
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