पटना: बिहार मौजूदा समय में दो-दो आपदाओं की मार झेल रहा है. एक तरफ कोरोना ने त्राहिमाम मचा रखा है, वहीं दूसरे तरफ बाढ़ ने विकराल रूप लेना शुरू कर दिया है. नदियों के लगातार बढ़ रहे जलस्तर की वजह से जगह-जगह से बांध टूट रही है. ऐसा में बाढ़ का पानी निचले इलाकों में फैलने लगा है. इसी क्रम में बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने रविवार को दावा किया है कि बिहार में सभी टूटे बांधों का एक सप्ताह में मरम्मत कर लिया जाएगा.


जल संसाधन मंत्री संजय झा ने कहा कि "पूर्वी चंपारण के चकिया समेत और भी कई इलाकों में 21 जुलाई को 200 एमएम से ज्यादा बारिश हुई. वहीं गंडक बराज से साढ़े चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. ऐसे में इलाके में वर्षा अधिक होने के कारण साढ़े पांच लाख क्युसेक पानी का निकासी हुआ, जिस वजह से बहुत जगहों पर पानी ओवर ड्राप हुआ और जब ज्यादा पानी होता है तो सीपेज पाइप से उसको टेकल कर लिया जाता है. जितनी जगह रोका जा सकता था, वो रुका लेकिन इसके बाद भी दो तीन जगहों पर यह ओवर ड्राप हो गया."


संजय झा ने बताया कि "मोतिहारी के रामपुर में जो बांध टूटा उसका कारण यह था कि एक बड़ा पीपल का पेड़ बांध के अंदर था और जब पानी का दबाव बढ़ा तो पीपल का पेड़ जिसके जड़ का हिस्सा बांध के नीचे तक था, वह उखड़ गया ऐसे में बांध भी छतिग्रस्त हो गया. गोपालगंज के देवापुर में भी ओवर ड्राप हुआ, लेकिन अभी पानी का लेवल काफी नीचे हो गया."


इस बार नार्मल दिनों जैसा नहीं है


उन्होंने बताया कि "बांध जहां-जहां टूटा है, वहां बन भी रहा है. एक जगह बन भी गया है और बांकी जगहों पर मेटेरियल पहुंच गया है. इसमें दूसरी समस्या यह भी है कि जो इंजीनियर इसमे लगे हैं, उनमें से 8 को कोविड हो गए तो यह नॉर्मल दिनों जैसा नहीं है. जो फील्ड में है उनमें कोरोना पॉजिटिव भी हैं, इसके बावजूद उन्होंने लगकर काम किया है."


बाढ़ में जान-माल के नुकसान के संबंध में उन्होंने कहा कि इस बार जान-माल की छति बहुत कम हुई है. हमलोगों ने अर्ली वॉर्निंग सिस्टम पहली बार प्रभावी रूप से लागू किया है. जिस एरिया में बारिश की संभावना थी, उसे 72 घंटे पहले जानकारी दी गई और यह जानकारी सभी जिले के जिलाधिकारी को भी दी गई. इस कारण उन्हें बांध की मॉनिटरिंग से लेकर लोगों को निकालने में भी सुविधा हो रही है."


बांध की मजबूती के लिए किया जा रहा काम


संजय झा ने कहा कि " गंडक में 1986 के समय का जो HFL था, पानी इसबार वह भी पार कर गया. इस बार 1986 के HFL से 27 सीएम ऊपर पानी जा रहा था, इसी कारण दो तीन जगहों पर ओवर ड्राप हुआ, जिस कारण बांध छतिग्रस्त हुआ. हमलोगों ने उसी रात सैकड़ों प्वाइंट पर बांध के मजबूती के लिए काम किया जिसे हमने सोशल मीडिया साइट्स पर साझा भी किया है. लेकिन अब पानी कम हो गया है."


संजय झा ने बताया कि " गंडक से उस रात 5 लाख 36 हजार क्युसेक पानी निकला, रेवा घाट में जो गेज है वहां भी इसबार पिक पर जल निकासी हुई है. लेकिन काम जारी है, एक सप्ताह के अंदर जो भी ब्रिज ध्वस्त हुए हैं, उन्हें ठीक कर लिया जाएगा. हमारे लोग और मेटेरियल वहां पहुंच गए हैं. अभी बांध का दोनों तरफ ब्लॉक कर बालू के बोरा से बांध बनाया जाएगा, ताकि लोगों के आने-जाने का रास्ता तैयार हो सके और जब पानी पूरी तरह से कम होगा तब उसे फाइनल तैयार किया जाएगा क्योंकि अभी तो हमे मिट्टी का भी अभाव होगा और फिर सभी जगहों पर पानी भी है."


बिहार में बाढ़ से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त


मालूम हो कि बिहार में बाढ़ ने आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. उत्तर बिहार के लगभग सभी जिले बाढ़ की चपेट में हैं. सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, खगड़िया, सारण, गोपालगंज आदि जिले बाढ़ की वीभिषिका झेल रहे हैं. राज्य की सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं और कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.


बाढ़ का पानी नए इलाकों में प्रवेश कर रहा है, जिससे आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है. राज्य में बाढ़ से अब तक 11 जिलों की करीब 15 लाख की आबादी प्रभावित हुई है. आपदा प्रबंधन विभाग राहत और बचाव कार्य में जुटा है. राज्य सरकार की ओर से 25 एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत और बचाव कार्य के लिए लगाई गई हैं. बिहार की विभिन्न नदियों के बढ़े जलस्तर को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग पूरी तरह से सतर्क है.


नदियों के बढ़े जलस्तर से बिहार के कुल 86 प्रखंडों की 625 पंचायतें प्रभावित हुई हैं, जहां आवश्यकतानुसार राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. सुपौल में 03, पूर्वी चम्पारण में 08, गोपालगंज में 12 और खगड़िया में 03 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं. इन सभी 26 राहत शिविरों में कुल 14011 लोग आवासित हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार गोपालगंज में 46, सुपौल में 03, पूर्वी चंपारण में 31, पश्चिमी चम्पारण में 07, दरभंगा में 293, सीतामढ़ी में 19, खगड़िया में 03, शिवहर में 04, मुजफ्फरपुर में 40 कम्युनिटी किचेन चलाए जा रहे हैं.


अभी कुल 463 कम्युनिटी किचेन चलाए जा रहे हैं, जिनमें प्रतिदिन 177065 लोग भोजन कर रहे हैं. प्रभावित लोगों के लिए हेलीकॉप्टर के माध्यम से फूड पैकेट्स गिराए जा रहे हैं. बता दें कि सरकार की तरफ से हर साल बाढ़ से बचाव के लिए प्रयास किए जाते रहे हैं, फिर भी बाढ़ जैसी भयानक आपदा से बिहारवासी हर बार दो-चार होते रहे हैं.