मुजफ्फरपुर: जिले के औराई और कटर प्रखंड में लोग बाढ़ की मार झेल रहे हैं. प्रखंड के कई गांव बाढ़ प्रभावित हैं. जिला प्रशासन भले ही बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचाने की दावे कर रही हो, लेकिन जमीनी असलियत कुछ और ही है.  स्थानीय लोग प्रशासन की ओर से मिलने वाली मदद से वंचित हैं. ऐसी स्थिति में उन्होंने अपनी सहूलियत के लिए खुद ही जुगाड़ नाव का ईजाद किया है.


आवागमन की है बड़ी समस्या


थर्मोकोल की बनी यह जुगाड़ नाव बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों के आवागमन का साधन बनी हुई है. क्षेत्र में प्रशासन की ओर से पर्याप्त संख्या में नाव नहीं मिलने की वजह से स्थानीय लोग अब जुगाड़ नाव का एक ओर से दूसरे ओर जाने के लिए प्रयोग कर रहे हैं. मालूम हो कि मुजफ्फरपुर के औराई कटरा के कई गांव बाढ़ की चपेट में है. ऐसे में लोगों के सामने आवागमन मूल समस्या बनी हुई है.


क्या है जुगाड़ नाव


लोगों ने थर्मोकोल की कई प्लेट को एक साथ जोड़कर उसे नाव का रूप दिया है और वे उसी के सहारे बाढ़ ग्रस्त इलाकों में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने को मजबूर हैं. जहां लकड़ी की नाव लगभग 25,000 रुपये में मिलती है, वहीं थर्माकोल से बनने वाले नाव की लागत महज 1000 से 1400 रुपये है. बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में जुगाड़ नाव लोगों के लिए काफी कारगर साबित हो रही है.


जिलाधिकरी ने पर्याप्त नाव होने की कही बात


बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि उनको सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है. नाव देने के दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन नाव उपलब्ध नहीं हो पा रही है. ऐसी स्थिति में हम इस जुगाड़ नाव का प्रयोग कर रहे हैं क्योंकि अगर यह नाव नहीं रहेगा तो फिर लोग बाढ़ के समय एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा पाएंगे. वहीं इस संबंध में जिलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि औराई और कटरा में बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए  सरकारी स्तर से हर व्यवस्था की जा रही है. नाव की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है.