बिहार में अब एक बात तो साफ है कि महागठबंधन के ऑफिशियल 'नायक' तो तेजस्वी यादव ही हैं. तेजस्वी यादव को महागठबंधन ने सीएम फेस घोषित कर दिया हुआ है. लेकिन मैदान में तेजस्वी को कई और उपाधियों से भी नवाजा जा रहा है. विरोधी उन्हें 'खलनायक' और 'नालायक' जैसी उपाधियां भी दे रहे हैं वहीं तेजस्वी यादव की पूरी कोशिश 'नायक' से भी आगे 'जननायक' दिखने की है
पटना में RJD दफ्तर के बाहर एक पोस्टर दिखा. इसमें तेजस्वी यादव को बिहार का 'नायक' बता दिया गया. इसके बाद बीजेपी और जेडीयू ने हमले शुरू कर दिये. आरजेडी और तेजस्वी यादव के बड़े भाई तेज प्रताप यादव की भी प्रतिक्रिया सामने आई.
आरजेडी ने क्या कहा?
आरजेडी के सीनियर नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि तेजस्वी यादव को 'जननायक' बनने में समय लगेगा क्योंकि वह लालू यादव की विरासत है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी, लालू की राजनीती पर खरा उतरने की कोशिश कर रहे हैं.
तेज प्रताप यादव की प्रतिक्रिया
जब मीडिया ने तेज प्रताप यादव ने सवाल किया कि राहुल गांधी को 'जननायक' और तेजस्वी यादव को 'नायक' बताया जा रहा है. इस पर उन्होंने कहा, "कर्पूरी जी, लोहिया जी, आंबेडकर जी और महात्मा गांधी जी ये लोग जननायक हैं. जो लोग जननायक बता रहे हैं उन्हें ऐसा नहीं बताना चाहिए. लालू यादव का राहुल गांधी और तेजस्वी जी पर छत्रछाया है. अपने बलबूते पर करके दिखाएं."
बीजेपी ने क्या कहा?
बिहार बीजेपी के चीफ दिलीप जायसवाल ने कहा, "नायक नहीं, ये खलनायक हैं. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. जो मुद्दाविहीन हो जाता है वही ये सब काम करता है." वहीं बीजेपी नेता, "राहुल गांधी भी जब बिहार आए तो उन्होंने खुद को जननायक बता दिया. तेजस्वी यादव को लगा कि हम तो पीछे छूट गए तो उन्होंने खुद को नायक बता दिया. इस वक्त महागठबंधन में यही होड़ मची हुई है. लेकिन ये सब नालायक हैं."
क्या बोले चिराग पासवान?
इस पर चिराग पासवान ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "आप इतने बड़ें हो गये है कि आप अपने आप को जननायक बताने लगे हैं. आप मुख्यमंत्री बने नहीं हैं."
बता दें कि बिहार की जनता ने आज तक सिर्फ कर्पूरी ठाकुर को ही अपना जननायक माना है. उन्होंने भूमि सुधारों की शुरुआत की और भूमिहीनों को जमीनें दिलवाने में मदद की. उन्होंने आरक्षण को लागू किया और इसके लिए विरोध का सामना भी किया. कर्पूरी ठाकुर ने कभी अपने परिवार या निजी लाभ के लिए काम नहीं किया. मुख्यमंत्री जैसे पदों पर रहने के बावजूद, उन्होंने अपने लिए या अपने परिवार के लिए कुछ नहीं किया. बल्कि अपना जीवन गरीबों और वंचित समाज के कमजोर वर्गों के लिए समर्पित कर दिया. वो जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करते थे इसलिए सभी वर्ग और समुदाय के लोग उनका सम्मान करते थे.