पटना: बिहार में शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) और राजभवन (Raj Bhavan) के बीच टकराव देखने को मिल रहा है. शिक्षा विभाग ने तो कुलपति और कुलसचिव का वेतन तक रोक दिया है. राजभवन और शिक्षा विभाग में टकराव को सुलझाने के लिए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने शिक्षा मंत्री से मांग कर दी है कि वो हस्तक्षेप करें. सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार (29 फरवरी) को बयान जारी किया है.


पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच लंबे समय से जारी टकराव बिहार के शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. इसका समाधान करने के लिए शिक्षा मंत्री को यथाशीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए.


सुशील मोदी ने बाताय वेतन रोकने जैसी कार्रवाई दुखद


अपने बयान में सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राजभवन की सहमति के बिना कुलपतियों की बैठक बुलाना, उसमें शामिल न होने वालों के वेतन रोकना, इस तरह की कड़ी कार्रवाई करना दुखद है. उन्होंने कहा कि स्कूल में पढ़ाई और छुट्टी की अवधि को लेकर भी स्थिति को तनावपूर्ण बनाना उचित नहीं था.


'मुख्यमंत्री के आदेश का होना चाहिए था पालन'


उन्होंने आगे कहा कि शिक्षक संगठनों और विपक्ष की इच्छा के अनुरूप जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक स्कूलों को चलाने का समय घोषित कर दिया तब इसका अक्षरशः पालन होना चाहिए था. राजभवन की मर्यादा और मुख्यमंत्री के आदेश का पालन कराना कार्यपालिका का कर्तव्य है. इसमें टकराव-अवज्ञा के लिए कोई जगह खोजना और फिर उसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाना किसी भी अधिकारी के लिए शोभनीय नहीं हो सकता.


बता दें कि शिक्षा विभाग की ओर से 28 फरवरी को बैठक बुलाई गई थी. इसमें बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक को शामिल होने के लिए कहा गया था. इस बैठक में राजभवन के आदेश पर कोई भी कुलपति उपस्थित नहीं हुए थे. इसको लेकर स्पष्टीकरण मांगा गया है. स्पष्टीकरण से कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव को अलग रखा गया है.


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