पटना: बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तवित है. लेकिन कोरोना महामारी के बीच चुनाव किस तरह कराया जाए यह चर्चा का विषय बना हुआ है. ऐसे में चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों से राय मांगी थी. इसी क्रम में आरजेडी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है. पत्र में सिद्दीकी ने चुनाव आयोग पर सवालों की बौछार कर दी है. उन्होंने पूछा है कि लोगों के जिंदगी की कीमत पर चुनाव कितना जरूरी है? अगर वोटरों को कुछ हुआ तो आप उसकी जिम्मेदारी लेंगे?


सिद्दीकी ने कहा है कि "राजधानी पटना सहित अन्य सभी जिलों में संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है. आरजेडी नेता ने अंदेशा जताया है कि अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के समय बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या दस लाख हो सकती है. ऐसी स्थिति में चुनाव कराना कहां तक उचित है?"


कोरोना ने मुख्यमंत्री आवास में दे दी है दस्तक


उन्होंने कहा कि हम चुनाव आयोग से यह अपेक्षा करते हैं कि वह लोगों को भरोसा दिलाए और यह सुनिश्चित करे कि पूरी चुनावी प्रक्रिया कोरोना संक्रमण के महाविस्फोट की एक घटना न बन जाए. सिद्दीकी ने कहा कि तमाम एहतियात के बावजूद प्रदेश के सांसद, मंत्री, विधायक और विधान पार्षद संक्रमित हैं. यहां तक की मुख्यमंत्री आवास, राजभवन, उप-मुख्यमंत्री आवास में भी कोरोना ने दस्तक दे दी है. पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी, बैंककर्मी, डीएम, एसपी समेत कई लोग संक्रमण के शिकार हो गए हैं. ऐसी परिस्थिति में सफल चुनाव की कल्पना कैसे की जा सकती है?


सोशल डिस्टेंसिंग का कैसे होगा पालन


उन्होंने चुनाव आयोग से सवाल पूछा कि क्या वे बिहार में कोरोना संक्रमण की स्थिति से संतुष्ट हैं? अगर संतुष्ट हैं तो उसका कारण आम जनता से साझा करें, जिससे जनता भयमुक्त होकर चुनाव में भाग ले सके. सिद्धकी ने कहा चुनाव के दिन करोड़ों लोग घर से बाहर निकलेंगे. ऐसे में जान की कीमत पर चुनाव का रस्म कितना जरूरी है? अगर मतदान के बाद कोई मतदाता संक्रमित हो जाता है और उसके साथ कोई अप्रिय घटना हो जाती है तो क्या चुनाव आयोग मतदाताओं का जीवन बीमा कराने के बारे में चिंतित है? उन्होंने पूछा कि बिहार में लगभग 13 करोड़ लोग और लगभग साढ़े सात करोड़ मतदाता हैं. ऐसे में चुनाव आयोग चुनाव के दौरान मतदाताओं और चुनाव प्रबंधन में लगे लोगों के बीच 2 गज की दूरी किस तरह सुनिश्चित करेगी?


बैलेट पेपर से हो चुनाव


उन्होंने कहा कि अगर फिर भी चुनाव आयोग तैयार है और चुनाव कराए जाते हैं, तो प्रति पोलिंग बूथ पर 250 वोटर्स की अधिकतम सीमा निर्धारित की जाए. इतना ही नहीं मेटल और प्लास्टिक पर वायरस कई दिनों तक सक्रिय रह सकता है. इसलिए इवीएम के बदले बैलेट पेपर से चुनाव हो तो यह ज्यादा सुरक्षित होगा. सिद्दीकी ने वर्चुअल चुनाव प्रचार का विरोध करते हुए कहा कि यह माध्यम लोकतंत्र में संवाद को सीमित कर देता है.


मौजूदा सरकार लाशों के ढेर पर चाहती है चुनाव


इसी मुद्दे पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने राज्य सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि " यह सरकार लाश के ढेर पर चुनाव कराना चाहती है. इस सरकार को राज्य के जनता की चिंता नहीं है. उन्होंने चुनाव आयोग से कहा कि अगर वह चुनाव के लिए उपयुक्त परिस्थिति देख रही है, तो परंपरागत तरीके से चुनाव कराए. चुनाव आयोग को तो बिहार में चुनाव करना है, लेकिन जनता की जान को जोखिम में डालकर चुनाव कराने को आरजेडी तैयार नहीं है. राज्य का कोई भी कोना कोरोना संक्रमण से अछूता नहीं है, ऐसी परिस्थिति में चुनाव कराना ठीक नहीं है."


आरजेडी पूछ रही अनर्गल सवाल


इधर, आरजेडी की ओर से चुनाव आयोग को लिखे गए पत्र की आलोचना करते हुए बिहार बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि आरजेडी की स्थिति बिल्कुल गुड़ खाए और गुलगुले से परहेज वाली है. तेजस्वी यादव चुनावी तैयारी में व्यस्त हैं और आरजेडी कहती है चुनाव नहीं चाहते. मौजूदा स्थिति में चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग ने सुझाव मांगा था, संभव है आरजेडी का पत्र उसका जवाब होगा. लेकिन आरजेडी की ओर से आयोग को लिखे पत्र की भाषा धौंस जमाने वाली है. चुनाव आयोग ने तो सुझाव मांगी था, लेकिन आरजेडी उसी से अनर्गल सवाल पूछ रही है. ऐसा लगता है आरजेडी खुद को आयोग से उपर एक्सट्रा कॉन्सटिच्युशनल ऑथोरिटी समझती है.


मालूम हो कि राज्यभर में कोरोना काफी तेजी से पांव पसार रहा है. संक्रमितों का आंकड़ा पचास हजार के करीब पहुंच चुका है. कोरोना ने अबतक लगभग 285 लोगों की जीवनलीला समाप्त कर दी है. पिछले 24 घंटे की बात करें तो राज्य में कोरोना से 2082 लोग संक्रमित पाए गए हैं.