केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी अपने एक बयान के बाद फिर से सुर्खियों में हैं. बीते रविवार (21 दिसंबर, 2025) को गयाजी में अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने 'कमीशनखोरी' की बात कर दी. कहा कि 10 परसेंट ना सही पांच परसेंट कमीशन पर ही काम करें. एक तरफ उन्होंने अपनी पार्टी को चलाने के लिए इस तरह की सलाह दी तो दूसरी ओर इस पर अब बयानबाजी शुरू हो गई है.

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सोमवार (22 दिसंबर, 2025) को जीतन राम मांझी के बयान पर आरजेडी ने हमला बोला तो वहीं जेडीयू ने इसे बाप-बेटे के बीच का संवाद बताया. उधर बीजेपी का कहना है पार्टी का इस बयान या सोच से कोई लेना-देना नहीं है. 

नीचे पढ़िए अलग-अलग पार्टियों का बयान

मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता: "एनडीए सरकार में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी चरम पर है. जीतन राम मांझी ने तो स्पष्ट रूप से कह दिया है कि सब लोग ले रहे हैं 10 परसेंट, अगर 10 परसेंट नहीं मिल रहा है तो पांच परसेंट ही लीजिए. यह बात वो खुद ही कह रहे हैं. केंद्र में मंत्री हैं. इससे स्पष्ट पता चल रहा है कि दिल्ली से लेकर पटना तक की जो डबल इंजन की सरकार है वहां कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार चरम पर है." 

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नीरज कुमार, जेडीयू प्रवक्ता: "जीतन राम मांझी केंद्र में मंत्री हैं… उनके बेटे बिहार सरकार में मंत्री हैं. पिता पुत्र के बीच संवाद हो रहा है. बैठक अंदरूनी है. उसमें अपनी पार्टी की कार्यनीति की चर्चा कर रहे हैं. इससे गठबंधन का कोई लेना-देना नहीं है. जहां तक बात कमीशन की है तो पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ सांसद निधि की शुरुआत हुई." आप मानते हैं कि कमीशन लिया जाता है? इस पर कहा, "फंड की अनुशंसा विधायिका करती है कार्यपालिका लागू करती है. पिता-पुत्र का संवाद है तो ये तो चलते रहता है. मांझी जी ऐसी बात कर रहे हैं तो साक्ष्य उपलब्ध करवाएं."

प्रभाकर मिश्रा, बीजेपी प्रवक्ता: "जीतन राम मांझी जी द्वारा कही गई बात उनकी निजी सोच और व्यक्तिगत राय है. बीजेपी का इस बयान या सोच से कोई लेना-देना नहीं है. बीजेपी मानती है कि जनप्रतिनिधियों को मिलने वाला हर पैसा जनहित विकास और पारदर्शिता के लिए है न कि किसी कमीशन या निजी इस्तेमाल के लिए. बीजेपी जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने वाली पार्टी है. जीतन मांझी को ऐसे बयानों से बचना चाहिए."

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