बिहार के गया हवाई अड्डे के GAY कोड नाम का मुद्दा संसद में उठाया गया है. बिहार के बीजेपी से राज्यसभा सांसद भीम सिंह ने बुधवार को संसद में नागरिक उड्डयन मंत्री से इस कोड नाम को बदलने की मांग की है. एमपी ने इसे सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से आपत्तिजनक बताया है. 

भीम सिंह ने संसद में क्या कहा?

भीम सिंह ने संसद में एक लिखित प्रश्न के माध्यम से कहा कि अंतर्राष्ट्रीय वायु यातायात नियंत्रण संघ (IATA) के जरिए विभिन्न हवाई अड्डों को दिए गए तीन अक्षरों के कोड नाम से कभी-कभी लोग असहज हो जाते हैं. उन्होंने गया हवाई अड्डे के लिए इस्तेमाल किए गए GAY कोड को बदलने की मांग करते हुए पूछा कि क्या सरकार इसे और सम्मानजनक बनाने पर विचार करेगी?

हालांकि इस अपत्ति पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने दिलचस्प जवाब दिया है. भाजपा सांसद के प्रश्न के उत्तर में, नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने स्पष्ट किया कि नाम कोड नहीं बदला जाएगा. उन्होंने कहा कि IATA के जरिए दिए गए तीन अक्षरों के कोड को लोकेशन आइडेंटिफायर कहा जाता है और ये स्थानीय होते हैं.

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री का मिला जवाब

उन्होंने कहा कि आम तौर पर हवाई अड्डे के लोकेशन के नाम के पहले तीन अक्षरों का ही इस्तेमाल किया जाता है. इसी आधार पर गया हवाई अड्डे के लिए GAY कोड का प्रयोग किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय वायु यातायात नियंत्रण संघ के संकल्प संख्या 763 के अनुसार, जब तक सामाजिक या सांस्कृतिक आपत्ति का पर्याप्त आधार न हो, स्थायी नाम कोड में परिवर्तन नहीं किया जा सकता.

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने बताया कि इससे पहले एयर इंडिया ने आईएटीए से इस कोड में बदलाव की मांग की थी. तब भी आईएटीए ने कहा कि यह प्रस्ताव-763 के प्रावधानों के तहत किया जाता है, इसमें तीन अक्षरों वाले कोड को स्थायी माना जाता है और इन्हें केवल असाधारण परिस्थितियों में ही बदला जाता है. आमतौर पर इनमें हवाई सुरक्षा संबंधी चिंताएं शामिल होती हैं.

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