पटना: बिहार की राजनीति में कुछ दिनों पहले इस तरह उठा-पटक हुई कि सरकार ही बदल गई. महागठबंधन की सरकार गई और एनडीए की सरकार बन गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ही रहे. अब एनडीए की सरकार को 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट में पास करना है. सरकार जाने के बाद ही तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने कहा था कि 'खेला' अभी बाकी है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार की राजनीति में फिर कोई बड़ा खेल होने वाला है? चुनावी रणनीतिकार और जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने गुरुवार (8 फरवरी) को बड़ा बयान दिया है.


पत्रकारों से बातचीत में पीके ने कहा कि अगर जीतन राम मांझी की पार्टी है, तो वो ये देख रहे हैं कि हमें एक सीट कहां मिल जाएगी. महागठबंधन से मिल जाएगी तो वह महागठबंधन में रहे. बीजेपी से मिल जाएगी तो बीजेपी में चले जाएंगे. यही हाल उपेंद्र कुशवाहा का भी है, जिसने भी उनको दो टिकट दे दिया, वह उसी साइड चले जाएंगे. लोजपा पार्टी भी दो धड़ों में है, कौन रहता है, क्या होता है ये उनका इंटरनल मैटर है और राजनीति में सामान्य बात है. लोकतंत्र में, चुनावी राजनीति में ये सब होते रहता है, इसे बहुत ज्यादा गंभीरता से मैं नहीं लेता हूं.


'ये घटना कोई नई बात नहीं...'


लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास गुट) नेता चिराग पासवान ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मिले, इस पर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि ये घटना कोई नई बात नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और चिराग पासवान 2014 और 2015 में बीजेपी के साथ थे. इन दलों ने साथ में मिलकर चुनाव भी लड़ा.


पीके ने कहा कि सबके पास ये अवसर है कि वो अपने साथ दूसरे दलों को जोड़ें और बिहार की राजनीति की ये सच्चाई रही है. ये नई घटना नहीं हो रही है. "विद ऑल ड्यू रिस्पेक्ट" छोटे दल ये देखते हैं कि हमें एक सीट कहां मिल जाएगी कि हमारा व्यक्तिगत स्वार्थ कहां पूरा हो जाएगा? 


यह भी पढ़ें- Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की तैयारी में BJP, बिहार में जीत के लिए काम आएगा ये प्लान?