पटनाः जाप सुप्रीमो पप्पू यादव के जेल जाने के बाद बुधवार को उनके बेटे सार्थक रंजन फेसबुक लाइव आए. इसके जरिए गिरफ्तारी से लेकर जेल भेजे जाने तक और कोरोना महामारी में पप्पू यादव ने लोगों के लिए कितना संघर्ष किया उसके बारे में बताया. उन्होंने कहा कि बिहार में अस्पतालों की सच्चाई दिखाना या किसी को दवाइयां देना क्या जुर्म है.


सार्थक रंजन ने कहा “मेरे पिता इस महामारी में लोगों को खाना पहुंचाते थे जिन्हें जिस चीज की जरूरत होती थी वह दे रहे थे. पर अब ऐसा लग रहा है कि दवाइंयों की कालाबाजारी को पेश करना गलत है. सबसे बड़ी उनकी गलती ये है कि वो लोगों के लिए एक नेता के घर पर लगी एंबुलेंस के बारे में सबको बताए. वो बस यही चाह रहे थे कि वो सारी एंबुलेंस लोगों के काम आए. मरीजों की मदद की जा सके लेकिन ऐसा करना सबसे बड़ा उनके लिए जुर्म हो गया.”


पप्पू यादव अपना परिवार छोड़कर दूसरों के लिए करते थे काम 


“पप्पू यादव ने अपना परिवार छोड़कर बिहार के हर एक परिवार के लिए काम करना सही समझा. वो कभी कोविड वार्ड जाकर लोगों की मदद करते थे तो कभी भीड़ के बीच जाकर खाना खिलाते थे. वो मुर्दा घर भी चले जाते थे. यह सब देखकर ऐसा लगता था कि एक दिन कभी उनके पिता की भी बॉडी इस तरह से हो सकती है. वो आज अकेले हैं और वीरपुर में हैं. जब ऐसा व्यक्ति ऐसा काम करके अकेला पड़ जाए तो यह बुरा लगने वाली बात है.”


“हॉस्पिटल में छापा मारना हो तो पप्पू यादव, खाना देना हो तो पप्पू यादव. यह सब करके अगर उनके साथ ऐसा हो तो फिर कौन बनेगा बिहार में दूसरा पप्पू यादव. हम अभी इस समय उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते. मैं पहली बार आया हूं आप सबके सामने. कल से जो मेरे पिता के साथ हुआ वह बिल्कुल ठीक नहीं है. जो इंसान दूसरों के लिए हमेशा आगे रहता है और जब उसे जरूरत पड़ती है तो वह अकेला पड़ जाता है. जब एक पप्पू यादव बिहार के लिए इतना कर सकता तो दो या सौ पप्पू यादव कितना कर सकते हैं. पप्पू यादव नाम नहीं है बल्कि एक जुनून है. गिरफ्तारी के बाद से वो सोए नहीं हैं. खाए नहीं है. सवा महीने पहले ही उनका ऑपरेशन हुआ है.”


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