नालंदा: अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल नालंदा ने पूरे देश और विदेशों में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. एक साल बाद नालंदा को दूसरा पद्मश्री पुरस्कार (Padma Shree Award 2023) मिला है. बिहारशरीफ मुख्यालय से तीन किलोमीटर दूर बसवन बिगहा गांव के रहने वाले बुनकर कपिलदेव प्रसाद को पद्मश्री सम्मान मिला है. पिछले साल राजगीर के वीरायतन प्रमुख आचार्य चंदना जी को यह सम्मान मिला था.

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सामान्य परिवार से आते हैं कपिलदेव

कपिलदेव प्रसाद को यह सम्मान बुनकरों के लिए किए जा रहे कार्यों व बावन बूटी कला को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए मिला है. उन्होंने इस कला को जीवित रखा है. वहीं पद्मश्री सम्मान मिलने पर गांव में भी खुशी की लहर है. तरह तरह की चर्चा हो रही है. कपिलदेव प्रसाद बहुत ही सामान्य परिवार से आते हैं. इनके जैसे व्यक्ति को पद्मश्री मिलने से गांव के साथ-साथ आसपास के लोग भी चौंक गए हैं. हालांकि सभी लोग खुश हैं और उनकी काफी प्रशंसा कर रहे हैं.

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क्या है बावन बूटी

बता दें कि साल 2017 में आयोजित हैंडलूम प्रतियोगिता में खूबसूरत कलाकृति बनाने के लिए देश के 31 बुनकरों को राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया था. इनमें नालंदा के कपिलदेव प्रसाद भी शामिल थे. यह हस्तकला से तैयार की जाने वाली एक विशेष साड़ी है. साधारण सूती और तसर के कपड़े पर हाथ से की गई कारीगरी वाली यह साड़ी खूबियों के लिए जानी जाती है. पूरी साड़ी में एक जैसी 52 बूटियां यानी मोटिफ होती है जिसके कारण उसे बावन बूटी कहा जाता है.  इस साड़ी में बौद्ध धर्म संस्कृति की भी झलक मिलती है.  बावन बूटी से सजी साड़ियों के अलावा, चादर, शॉल, रूमाल, पर्दे ,आदि भी बनते हैं. वहीं कपिलदेव प्रसाद के अलावा आनंद कुमार और सुभद्रा देवी को भी पद्मश्री से नवाजा गया है. सभी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बधाई और शुभकामनाएं दी है.

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