रांची: झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह अब तीन जून की सुबह छह बजे तक प्रभावी रहेगा. इस दौरान पहले से लागू सभी प्रतिबंध जारी रहेंगे. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक हुई, जिसमें सताईस मई की सुबह छह बजे समाप्त हो रहे स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की अवधि को एक सप्ताह बढ़ाने का निर्णय लिया गया. इधर, इस बैठक में चक्रवातीय तूफान यास के झारखंड में पड़ने वाले संभावित असर और उससे निपटने को तैयारियों को लेकर भी मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए. 


 एक तिहाई कर्मचारियों के साथ खुलेगा सचिवालय


आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में सचिवालय को दोपहर दो बजे तक खोलने का निर्णय लिया गया. इस दौरान संयुक्त सचिव से ऊपर स्तर के सभी पदाधिकारियों को अनिवार्य रूप से सचिवालय आना होगा. वहीं, 33 प्रतिशत कर्मचारियों के साथ सचिवालय के विभिन्न विभाग कार्य करेंगे. इसके अतिरिक्त ई-पास की अनिवार्यता जारी रहेगी, लेकिन, सरकारी कर्मियों, मीडियाकर्मियों तथा बड़ी कंपनियों अथवा फैक्ट्रियों में काम करने वालों का ड्यूटी पास मान्य होगा. इन्हें ई-पास की अनिवार्यता से छूट दी गई है.


चक्रवातीय तूफान का दिख सकता असर


मुख्यमंत्री को आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ. अमिताभ कौशल ने चक्रवातीय तूफान यास का झारखंड में पड़ने वाले असर, बचाव और राहत को लेकर की गई तैयारियों से अवगत कराया. उन्होंने बताया कि मौसम विभाग ने जो पूर्वानुमान जारी किया है, उसके मुताबिक यह तूफान कल ओड़िसा के तटीय इलाके से टकराएगा. इसका असर झारखंड में भी देखने को मिल सकता है. तूफान से पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, गुमला, खूंटी और सिमडेगा के ज्यादा प्रभावित होने की संभावना है. इन इलाकों में 90 किलोमीटर अथवा उससे ज्यादा रफ्तार से हवा चलने और कुछ इलाकों में भारी बारिश होने की आशंका है. यहां चक्रवातीय तूफान यास का असर 26-27 मई को ज्यादा पड़ेगा, जबकि 28 को इसके धीमा होने की उम्मीद है.


चक्रवातीय तूफान से बचाव को लेकर तैयारियां पूरी


मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए निर्देशों के तहत चक्रवातीय तूफान से बचाव और राहत को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग ने तैयारियां पूर कर ली है. इसके तहत अस्पतालों में बिजली और ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित नहीं हो, इसके लिए पुख्ता व्यवस्था की गई है. वहीं, पेड़, खंभे और पोल आदि के गिरने से सड़कों पर आवागमन बाधित नहीं हो, इस बाबत सभी जिलों के उपायुक्त को गिरने वाले पेड़ों को हटाने के लिए पूरी व्यवस्था करने को कहा गया है. 


भारी बारिश के कारण कच्चे घरों को नुकसान पहुंचने की काफी आशंका है, ऐसे में लोगों को रखने के लिए शिविर की व्यवस्था की गई है. भारी बारिश से स्वर्णरेखा नदी के निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति भी पैदा हो सकती है. ऐसे में अधिकारियों को इन इलाकों की लगातार निगरानी करने को कहा गया है. वहीं तेज, हवा और बारिश से बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है. इस बाबत ऊर्जा विभाग को भी अलर्ट कर दिया गया है. इसके अलावा चक्रवातीय तूफान से होने वाले नुकसान और लोगों को राहत पहुंचाने के लिए अन्य सभी तैयारियां भी पूरी कर ली गई हैं.


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