झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति को लेकर बड़ा बयान दिया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोज पांडे ने कहा कि बिहार में इंडिया गठबंधन के साथ चल रही बैठकों और चर्चाओं के बावजूद, जब पार्टी की मांग के अनुसार सीटों की संख्या बढ़ाई नहीं गई और सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो जेएमएम के पास अपने दम पर चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.

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मनोज पांडे ने बताया कि जेएमएम अब छह सीटों पर अपनी ताकत के साथ चुनाव लड़ने जा रही है और आज ही इन सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि जरूरत पड़ने पर कुछ अतिरिक्त सीटों पर भी उम्मीदवार उतारे जा सकते हैं. उनका कहना था कि पार्टी ने यह निर्णय पूरी सोच-विचार और रणनीति के तहत लिया है और यह अंतिम निर्णय है.

जेएमएम की लोकप्रियता को हल्के में आंका जा रहा- मनोज पांडे

जेएमएम नेता मनोज पांडे ने कहा कि उनकी पार्टी और उनके नेता की लोकप्रियता को हल्के में नहीं आंका जाना चाहिए. उन्होंने जोर देकर कहा कि पूरा देश देख चुका है कि जेएमएम किस तरह की करिश्माई नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक ताकत रखती है. पांडे ने कहा कि पार्टी ने पिछली बार सत्ता के दबंग तत्वों को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यह प्रभुत्व बिहार के सीमावर्ती इलाकों में अब भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है.

गठबंधन को भुगतना पड़ेगा इसका परिणाम- मनोज पांडे 

मनोज पांडे ने इंडिया गठबंधन पर भी तंज कसते हुए कहा कि अगर जेएमएम इंडिया गठबंधन के साथ पूरी तरह से एकजुट रहती, तो गठबंधन का प्रदर्शन और भी शानदार होता, लेकिन उन्हें अनदेखा किया गया. अब इसका परिणाम इंडिया गठबंधन को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि जेएमएम ने अपने सिद्धांतों और सम्मान के लिए यह कदम उठाया है और पार्टी अपने उम्मीदवारों के माध्यम से क्षेत्रीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.

चुनाव के समीकरणों को प्रभावित करेगा जेएमएम का फैसला

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, जेएमएम का यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है. विशेष रूप से सीमा क्षेत्र और भारत-झारखंड की सीमा से जुड़े जिलों में पार्टी की पकड़ मजबूत रहने के कारण अन्य दलों के लिए चुनौती बढ़ सकती है.

इस निर्णय से यह भी संकेत मिलता है कि जेएमएम अपने राजनीतिक रणनीति और क्षेत्रीय प्रभुत्व को लेकर पूरी तरह आत्मनिर्भर होकर चुनाव मैदान में उतरेगी. पार्टी नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में उनका मकसद केवल चुनाव लड़ना ही नहीं, बल्कि जनता के बीच अपनी सशक्त उपस्थिति और नेतृत्व क्षमता को साबित करना भी है.