पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) की अमित शाह से मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में अटकलें तेज हैं. गुरुवार (13 अप्रैल) को जीतन राम मांझी भले बिहार के विभूतियों को भारत रत्न देने की मांग को लेकर अमित शाह (Amit Shah) से मिलने गए हों लेकिन इस मुलाकात से सियासी पारा चढ़ गया है. यह मुलाकात नीतीश कुमार को टेंशन भी दे सकती है क्योंकि जीतन राम मांझी भी पलटी मारने में कभी देरी नहीं करते हैं. कई बार ऐसा कर चुके हैं. जानिए कुछ बड़ी बातें.


जीतन राम मांझी शराबबंदी कानून पर सवाल उठाते रहे हैं. बार-बार बोलते हैं कि दलित पिछड़ों को इस शराबबंदी कानून के तहत जेल में डाला गया. इतना ही नहीं बल्कि जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वह बिहार के पूर्व सीएम रह चुके हैं. उनको लगता है कि बिहार सरकार अपने अहम निर्णयों में उनका सुझाव नहीं लेती है.


मांझी की बातों को किया गया अनसुना?


बता दें कि जीतन राम मांझी को मिलाकर उनकी पार्टी में चार विधायक हैं. बेटा संतोष सुमन एमएलसी हैं और सरकार में मंत्री भी हैं. मांझी की पार्टी से मांग उठती रही है कि एक और मंत्री उनकी पार्टी से बनाया जाए, लेकिन अब तक ऐसा हुआ नहीं. राज्यपाल कोटे से एक एमएलसी बनाने की मांग भी मांझी की पार्टी की तरफ से की गई थी पर यह भी नहीं हुआ. यही सब कारण है कि मांझी नाराज रहते हैं, लेकिन तुरंत अपने बयान से यू-टर्न भी ले लेते हैं.


कसम खाई थी कि जब तक राजनीति में हैं तब तक नीतीश का साथ देंगे. 2015 में नीतीश कुमार ने जब उनको सीएम पद से हटाया तो मांझी ने अपनी पार्टी (HAM) बना ली और बीजेपी से गठबंधन कर लिया था. 2017 में महागठबंधन में चले गए. 2020 में फिर एनडीए में आए. 2022 में फिर महागठबंधन में चले गए. यानी पलटी मारने में देरी नहीं करते हैं. 


'मांझी पर कुछ लोग डोरे डाल रहे'


पूर्णिया में महागठबंधन की रैली में नीतीश ने अपने संबोधन में कहा भी था कि मांझी पर कुछ लोग डोरे डाल रहे हैं. इशारा बीजेपी की ओर था. बता दें कि 2024 के मद्देनजर बिहार में महागठबंधन का मुकाबला करने के लिए बीजेपी यूपी-महाराष्ट्र की तरह हर छोटे दलों को साथ ले सकती है जैसे चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी, मांझी. अभी बिहार एनडीए में फिलहाल बीजेपी और पारस की आरएलजेपी (RLJP) है. महागठबंधन में सात दल होने के नाते मांझी को 2024 में ज्यादा सीट मिल पाए इसकी उम्मीद कम है, लेकिन एनडीए में सम्मानजनक सीटें मिल सकती हैं.


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