पटना: सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और जेडीयू (JDU) संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के बीच इन दिनों जुबानी जंग छिड़ गई है. इसको लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है. अब उपेंद्र कुशवाहा से त्याग पत्र तक मांगा जा रहा है. कुछ दिन पहले यह प्रकरण आरसीपी सिंह (RCP Singh) के साथ भी हुआ था. उन्होंने विवाद बढ़ता देख खुद ही त्याग पत्र दे दिया था. वहीं, गुरुवार को जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा (Umesh Kushwaha) ने जमकर उपेंद्र कुशवाहा पर हमला बोला. उन्होंने 'हिस्सेदारी' वाले बयान पर कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को तो शर्म आनी चाहिए उन्हें तो खुद से त्याग पत्र दे देना चाहिए.
'यह बहुत ही ताज्जुब की बात है'
उमेश कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र सिंह से उन्हें उपेंद्र कुशवाहा बनाया. मुख्यमंत्री ने उन्हें विरोधी दल का नेता बनाया, राज्यसभा भेजा. इसके बाद उपेंद्र कुशवाहा एक समय बेरोजगार हो गए थे जब आटा-चावल बेच रहे थे तब सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें विधानपरिषद में भेजा. इसके बाद वो मुख्यमंत्री से हिस्सदारी की मांग रहे हैं? यह बहुत ही ताज्जुब की बात है. उपेंद्र कुशवाहा के साथ रहने वाले कुछ लोग सदस्यता अभियान की बात कर रहे थे. उपेंद्र कुशवाहा 50 हजार सदस्यता फार्म ले गए अभी तक उसका कुछ पता नहीं है. समर्पित कार्यकर्ताओं ने आज पार्टी को बढ़ाया है.
पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा की कोई हिस्सेदारी नहीं है- उमेश कुशवाहा
जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पार्टी आज मजबूत हुई है. किसी के आने और जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. पार्टी में उपेंद्र कुशवाहा का कोई हिस्सेदारी नहीं है और कोई जमीन नहीं है. जेडीयू में जबसे उपेंद्र कुशवाहा शामिल हुए हैं उन्होंने सिर्फ पार्टी को कमजोर करने का काम किया है. पार्टी में रहते अभी महात्मा फुले संगठन चला रहे हैं. महात्मा फुले संगठन चलाने का क्या औचित्य है? उपेंद्र कुशवाहा कुछ दिन पहले पहले पार्टी की मजबूती की बात कर रहे थे और अब पार्टी में ही हिस्सेदारी की मांग कर रहे हैं.
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