आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में जारी एसआईआर के बीच इस साल (2025) होने वाले विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की बात कह दी है. उनके बयान से बिहार की सियासत गरमा गई है. इस बीच जेडीयू और बीजेपी की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है. केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह ने कहा कि उनको (तेजस्वी यादव) लग रहा है कि चुनाव हार जाएंगे, जब तक नकली वोटर नहीं रहेगा तब तक चुनाव कैसे जीतेंगे? जालसाजी पकड़ी गई तो अब कह रहे हम चुनाव नहीं लड़ेंगे.
'लोकतंत्र के पर्व में भाग लेना या न लेना…'
उधर बिहार सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता नितिन नवीन ने तेजस्वी यादव के 'चुनाव बहिष्कार' संबंधी बयान पर कहा, "अपनी हार को पहले से स्वीकार करना निश्चित रूप से उनके कार्यकलापों से दिखता है कि उन्हें जनता का समर्थन नहीं मिल रहा है. इस हताशा और निराशा में वे अपनी खीज और हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ रहे हैं. लोकतंत्र के पर्व में भाग लेना या न लेना उनकी मर्जी हो सकती है, लेकिन जनता निश्चित रूप से चुनाव में हिस्सा लेगी..."
नितिन नवीन ने तंज कसते हुए कहा, "इससे क्या होगा? क्या इससे कानून बदल जाएगा? आप चुनाव में भाग नहीं लेंगे, तो क्या? अन्य दल तो हिस्सा लेंगे. यह तो खुद अपनी हार स्वीकार कर रहे हैं. उन्हें पता है कि उनकी जमीन खिसक रही है, जनता उन्हें समर्थन नहीं दे रही, लोग उनके पीछे नहीं जुड़ रहे. उन्हें अपनी हार का अंदाजा हो गया है. अब वे अपनी हताशा का ठीकरा किसी और पर फोड़ना चाहते हैं और इसके लिए चुनाव आयोग के निर्णय को बहाना बना रहे हैं."
क्या बोलीं शांभवी चौधरी?
तेजस्वी के बयान पर एलजेपी (रामविलास) सांसद शांभवी चौधरी ने कहा, "बिहार चुनाव को बहिष्कार करने का और इस तरह से विरोध करने का सिर्फ यह उद्देश्य है कि वो लोग अपना स्पष्टीकरण देना चाहते हैं कि चुनाव हारने के बाद क्या कहना है. महाराष्ट्र में जब चुनाव हुआ था, तब इन्होंने कहा था कि वोटों के साथ छेड़छाड़ हुई है, पुनरीक्षण होना चाहिए. अब यह हो रहा है तो इनको फिर परेशानी हो रही है और ये भ्रम फैला रहे हैं कि यह वोटो की चोरी हो रही है. यह बहुत गलत है. सरकार चर्चा करने के लिए तैयार है लेकिन वो (विपक्ष) चर्चा नहीं होने दे रहे हैं."