जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने एक लड़के की हत्या का आरोप भी दिलीप जायसवाल पर लगाया है. प्रशांत किशोर ने जायसवाल पर आरोप लगाते हुए कहा कि जमीन कब्जाने के चक्कर में राजेश साह की जान ले ली गई.

प्रशांत किशोर ने बीजेपी के मंत्री पर लगाया बड़ा आरोप

प्रशांत किशोर ने कहा कि राजेश के घर के बगल में सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालय से जुड़ी एक रोड है. रोड से सटे जमीन की खरीद बिक्री को लेकर विवाद शुरू हुआ. जमीन बिक्री के इस खेल में राजेश साह कुछ लोकल के साथ मिलकर इसका विरोध करने लगा. प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल वहां पर 10 एकड़ के करीब जमीन कब्जा करना चाहते थे. लोगों से जबरदस्ती खरीदना चाहते थे, जैसा कि पीड़ित मां का कहना है और लोगों का कहना है.  

इसका विरोध करने पर पहले तो राजेश को धमकी मिली और मामले से दूर रहने को कहा गया. साल 2007 में दुर्गा पूजा की तैयारी के नाम पर राजेश के एक मित्र ने उसे घर से मोटरसाइकिल पर बैठाकर ले गया. यह घटना सबके सामने हुई फिर राजेश की मां को खबर मिलती है कि उनके बेटे को भीड़ ने बहुत पीटा है, वह मरण अवस्था में है. इसके बावजूद उस घायल राजेश को किसी सरकारी अस्पताल में नहीं ले जाया गया, बल्कि दिलीप जायसवाल के नियंत्रण वाले माता गुजरी देवी मेडिकल कॉलेज में ले जाया गया.  

प्रशांत किशोर ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इस पूरे घटनाक्रम पर पुलिस का कहना है की भीड़ में राजेश साह की पिटाई हुई, उसे दौरान उसके हाथ में पिस्टल था, लेकिन इस तथ्य में कहीं भी दम नहीं की 100 लोग उसे पीट रहे थे और उसने हाथ में पिस्टल होने के बाद भी उसने नहीं चलाया. अजीबोगरीब बात है कि इस घटना की जानकारी भी पुलिस को पुलिस के रिकॉर्ड के हिसाब से दिलीप जायसवाल ने दी.

जायसवाल ने पुलिस को बताया कि एक भीड़ यहां पर है, जो एक बच्चे को मार रही है. यह घटना दिलीप जायसवाल के घर से 2 किलोमीटर दूर पर हुई फिर भी उन्होंने पुलिस को बता दिया. घायल राजेश साह को दिलीप जायसवाल के अस्पताल में इलाज के लिए दो दिनों तक रखा गया. इन दो दिनों में घायल के मां-पिता को भी उससे मिलने नहीं दिया गया. पुलिस ने एक रिपोर्ट बना दी, जिसमें कहा गया की पिस्तौल लेकर राजेश दिलीप जायसवाल को मारने गया था, लेकिन भीड़ ने उससे पहले ही राजेश साह को पीट-पीट कर मार दिया.

मामला यहीं पर नहीं रूका 1 साल तक पीड़ित परिवार का FIR दर्ज नहीं किया गया. इस पूरे घटनाक्रम में अवला देवी के पति यानी राजेश साह के पिता सदमे में दो साल तक बेड पर रहे और उनकी मृत्यु हो गई. तब से लेकर अब तक पीड़ित परिवार और मृतक राजेश साह की बहन रीता देवी इस लड़ाई को लड़ रही है. सीएम नीतीश कुमार से भी उनसे मुलाकात की . सीएम से मुलाकात के बाद तुरंत ऑर्डर हुआ कि इस पर कार्रवाई की जाए, लेकिन वहां के तत्कालीन एसपी एमआर नाईक जिनकी पत्नी आज एमबीबीएस करके डॉक्टर हैं, यह भी पता करने वाली बात है कि इस केस के बाद उनकी पत्नी डॉक्टर कैसे बन गई?

इस पूरे मामले में हाई कोर्ट ने सीआईडी जांच का आदेश दे रखा है, लेकिन अब तक कोई जांच नहीं हो पाई है. 2008 से यह दो महिलाएं अकेले लड़ रही हैं, लेकिन कोई इनके साथ खड़े होने को तैयार नहीं है. पुलिस रिकॉर्ड में कहीं भी यह बात नहीं है कि राजेश साह की मृत्यु कैसे हुई? भीड़ के मरने से हुई या अस्पताल में पॉइजन देने से. मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी किसी के हाथ में नहीं है.

जब से दिलीप जायसवाल को यह पता चला है कि पीड़ित परिवार जन सुराज के संपर्क में है. यह बात पब्लिक में उठ सकती है, उसके बाद धमकियां मिल रही हैं. कल भी 50 से ज्यादा फोन जायसवाल के गुर्गे ने किया है. मैं यह बात कैमरे पर कह रहा हूं. अगर विश्वास नहीं होता तो कल परसों उस नंबर को भी जारी कर दिया जाएगा. 

'मेरे बेगुनाह बेटे को दिलीप जायसवाल ने मरवा दिया'

इस पूरे घटना पर मृतक राजेश साह की माता अमला देवी ने कहा कि मेरे बेगुनाह बेटे को दिलीप जायसवाल ने मरवा दिया. आखिरी बार देखने भी नहीं दिया. हमको बहुत धमकाया गया. टॉर्चर किया गया फिर भी हम यहां तक आए हैं. हमारा साथ दीजिए. 

राजेश साह की बहन गीता कुमारी ने कहा कि मैं वह अभागन बहन हूं, जो अपने भाई का मरा मुंह तक नहीं देख सकी. कितना उसे टॉर्चर किया गया. हम अस्पताल की गेट पर जाते थे तो हमें भगा दिया जाता था, क्रिमिनल जैसा व्यवहार किया जाता था. रो रोकर बहन ने अपनी पीड़ा बताई. 

वहीं जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के आरोपों का दिलीप जायसवाल ने जवाब दिया है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने फेसबुक पोस्ट करके अपने खिलाफ साजिश की बात कही. उन्होंने कहा कि 6 जुलाई से एक बहुत ही सोची-समझी राजनीतिक साजिश के तहत मेरी छवि को धूमिल करने के लिए मुझ पर आरोप लगाए जा रहे हैं. तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, ताकि जनता को गुमराह किया जा सके. 

दिलीप जायसवाल ने कहा, "मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप झूठे, निराधार और राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से प्रेरित हैं. हमें देश की संवैधानिक संस्थाओं पर पूरा भरोसा है. हकीकत तथ्यों पर आधारित होती है, अफवाहों पर नहीं". 

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