पुर्णिया: बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की तरफ से जारी आदेश के बाद कॉलेजों में नामांकन के लिए रोजाना भीड़ उमड़ रही है. इस भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग का दूर-दूर तक नामों निशान नहीं है. ऐसे में कॉलेज प्रबंधन को कोरोना संक्रमण का डर सता रहा है. लेकिन बच्चे अपनी जान की परवाह किए बगैर आगे की पढ़ाई के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

कोरोना महामारी के बीच परीक्षा समिति के इस निर्णय का खामियाजा बच्चों और शिक्षकों को भुगतना पड़ सकता है. तस्वीरें पुर्णिया महिला कॉलेज की हैं, जहां एक साथ 500 से अधिक छात्राएं लाइन में खड़ी हैं. 7 अगस्त से शुरू हुए 12वीं आर्ट्स और कॉमर्स में नामांकन का कल आखिरी दिन था. ऐसे में न केवल कॉलेज के अंदर भीड़ थी, बल्कि छात्राओं के अभिभावकों की भीड़ कॉलेज के बाहर भी लगी थी.

ऐसे में सवाल उठाता है कि जब ऑनलाइन नामांकन का विकल्प है तो कॉलेजों में भीड़ जमा करना कहां तक उचित है? अगर संक्रमण फैलता है तो ज़िम्मेदारी किसकी होगी? क्योंकि कॉलेज स्टाफ भी डर के साए में काम करने को मजबूर हैं.

इस संबंध में पूछने पर महिला कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. रीता सिन्हा ने बताया कि पहले 3 दिन सिर्फ 10 छात्राओं ने नामांकन कराया था, अब आखिर के दिन में 800 से अधिक छात्राएं पहुंची हैं. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है, और न ही सभी बच्चे मास्क पहनकर आए हैं. ऐसे में बच्चों के साथ-साथ कॉलेज के स्टाफ को भी कोरोना का खतरा है. बेहतर होता कि समिति या तो तारीख बढ़ा दे या फिर ऑनलाइन नामांकन की व्यवस्था करे.