पटनाबिहार में क्राइम और हिंसक घटनाओं से हटकर अब भोज की राजनीति शुरू हो गई है. बीते गुरुवार (27 जुलाई) को बिहार के राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर ने दिल्ली के अशोका होटल में बिहार के सभी लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को भोज पर आमंत्रित किया था. इस भोज के माध्यम से बिहार के हित को लेकर चर्चा और विकास के मुद्दों पर बातचीत करना था लेकिन जेडीयू-आरजेडी के सांसदों ने भोज का बायकॉट कर दिया. वे भोज में नहीं गए, सिर्फ एनडीए के सांसद ही पहुंच पाए. इसको लेकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने अपने अंदाज में समझाया है.


गुरुवार (27 जुलाई) को गिरिराज सिंह ने कहा कि विपक्ष को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं है. हमारे देश में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष राजनीति से हटकर देश और राज्य के विकास के लिए भोज के माध्यम से एक दूसरे के साथ बैठकर बातचीत करते हैं. यह पुरानी परंपरा चली आ रही है. देश और राज्य की क्या समस्या है आमने-सामने बैठ कर बातें होती हैं. राज्यपाल ने इसके लिए भोज का आयोजन किया था, लेकिन बिहार के सत्ता पक्ष के लोगों ने इस का बहिष्कार कर दिया. इससे साफ पता चलता है कि बिहार के सत्ता पक्ष के लोगों को लोकतंत्र पर विश्वास नहीं है. संवाद में भरोसा नहीं है. बातचीत में भरोसा नहीं है. यही कारण है कि इन लोगों ने भोज का बहिष्कार किया है.


आरजेडी ने कहा- मणिपुर की घटना से हम लोग आहत


जेडीयू-आरजेडी के सांसदों द्वारा राज्यपाल के भोज को बायकॉट करने पर आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि भोज में जाने का प्रश्न नहीं उठता है क्योंकि अभी मणिपुर की घटना से पूरा देश दहल रहा है. मणिपुर की घटना से हम लोग आहत हैं ऐसे में भोज करने का कोई औचित्य नहीं बनता है.


मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बीजेपी को इससे कोई मतलब नहीं है. प्रधानमंत्री खुद मणिपुर की घटना से कोई मतलब नहीं रख रहे हैं और उन्हें देश की जनता से कोई लेना-देना नहीं है. सिर्फ वोट की राजनीति करते हैं.


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