पटना: बिहार में पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav 2021) की तारीखों का एलान हो गया है. इसके साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गया है. ऐसे में लोगों को यूपी पंचायत चुनाव की तस्वीरें याद आने लगी हैं. गौरतलब है कि कोरोना (Corona Pandemic) के दूसरे वेव के दौरान यूपी में चुनाव हुए और पंचायत चुनाव को कोरोना स्प्रेडर के तौर पर देखा गया था. ऐसे में पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के लिए वैक्सिनेटेड होना एक आधार हो एबीपी न्यूज के इस सवाल पर बिहार के पंचायती राज मंत्री ने नसबंदी का जिक्र कर दिया. 


मंत्री सम्राट चौधरी (Samrat Chaudhary) ने कहा हमारी सरकार ऐसा नहीं करेगी. लोकतंत्र का राग छेड़ते हुए सम्राट चौधरी ने कहा कि इसे जबरदस्ती माना जाएगा और इंदिरा गांधी के समय में नसबंदी कराकर ऐसी ही जबरदस्ती की गई थी.


बाढ़ और कोरोना काल का ध्यान रखा जाएगा


एबीपी से खास बातचीत में मंत्री ने कहा कि बिहार में कोरोना और बाढ़ से निपटने के लिए सरकार ने चार महीनों में 11 फेज में चुनाव कराने का फैसला किया है. बाढ़ और कोरोना के चलते इस बार लंबा अंतराल है और चुनाव का फैसला किया गया. शुरुआत में ये तय हुआ कि दस फेज में चुनाव में होने हैं और दस फेज में ही होने थे. लेकिन 11 फेज में इसलिए किया गया क्योंकि बाढ़ से कई जिले प्रभावित हैं. साढ़े पांच लाख ईवीएम चाहिए थे, इसमें भी वक्त लगा. 


उन्होंने कहा कि इस बार चुनाव में वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति और जिला परिषद का चुनाव ईवीएम के माध्यम से और सरपंच और पंच का चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से होगा. बोगस वोटिंग न हो इसलिए इस बार आधार से लिंक कर आई क्लाउड से जोड़ा जाएगा और थम्ब इम्प्रेशन का इस्तेमाल किया जाएगा.


वैक्सीन लेना लोगों के अपने विचार पर निर्भर


सवाल ये है कि जो जन प्रतिनिधि का चुनाव लड़ेंगे उनके लिए अनिवार्यता क्यों नहीं बन सकता? इस पर सम्राट चौधरी ने कहा कि वैक्सीन लें या न लें ये आदमी का अपना विचार है. हमलोगों ने आग्रह किया है कि जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं वो वैक्सीन लें. बहुत लोग नहीं लेना चाहते भी हैं. लोकतंत्र में ज़बरदस्ती की तस्वीर इंदिरा गांधी के वक्त देखा गया था, जब नसबंदी कराई गयी थी. नौजवानों का नसबंदी करा दिया गया और सरकार को फजीहत झेलनी पड़ी थी. उन्होंने आगे कहा कि गुजरात में दुकानदारों के वैक्सीन लेने को अनिवार्य किया गया, तो कोर्ट ने स्टे लगा दिया.


धांधली न हो इसके लिए निर्दलीय उम्मीदवार चुने


धांधली रोकने के क्या उपाय हैं सरकार के पास इस सवाल के जवाब में सम्राट चौधरी ने कहा कि इस चुनाव में लोगों से अपील करेंगे कि लोग धांधली नहीं करें. बिना किसी दल के उम्मीदवार मैदान में हैं, इसलिए अच्छे व्यक्ति का चुनाव करें. उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि जनसंख्या विस्फोटक पर क़ानून बने. नगर निकाय में हमने व्यवस्था की, कि दो ज़्यादा बच्चे वाले उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकते. लेकिन वो नहीं हो सका पर भ्रष्टाचार के रोकने के उपाय हो.


संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य हो


सम्राट चौधरी ने कहा कि जिस तरह सांसद या विधायक को चुनाव लड़ने से पहले अपनी संपत्ति का ब्योरा देना होता है. उसी तरह हम चाहते थे कि पंचायत स्तर पर भी ये नियम बने. लेकिन इस बार ये नहीं हो सका. आगे के दिनों में ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि इसके लिए लोक प्रहरी बनाए जाए. ताकि रसूख़दार पैसे वाला चुनाव जीतकर ना जाए. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बहुत देर तक रोका नहीं जा सकता. 15 जून को ही इन सभी का कार्यकाल समाप्त हो गया था.


बिहार में इनदिनों शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया चल रही है. इसी बीच पंचायत चुनाव के एलान पर सवाल ये है कि मुखिया, प्रखंड प्रमुख और जिला परिषद अध्यक्ष शिक्षक नियोजन इकाई की अध्यक्षता कैसे करते रहेंगे? इस सवाल के जवाब में सम्राट चौधरी ने कहा कि शिक्षा विभाग और राज्य निर्वाचन आयोग को तय करना है कि इसमें क्या विकल्प होंगे. चुनाव की तारीखों का एलान हो गया और इसी के साथ जो तंत्र है, वो इसकी तैयारी में होंगे लिहाजा इस परिस्थिति ने निर्वाचन आयोग को स्वतः संज्ञान लेना होगा.


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