नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने बुधवार को कहा कि पिछले महीने हुए बिहार विधानसभा चुनाव में वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) की गिनती और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों द्वारा दर्ज वोटों की गिनती में कोई अंतर नहीं पाया गया. बिहार के 1,215 मतदान केंद्रों में वीवीपीएटी पर्चियों की गणना ईवीएम के मतों की गणना से मिलाने के लिए की गई.


आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा, 'वे (वीवीपीएटी) पूरी तरह से ईवीएम गणना से मेल खाते हैं.' ईवीएम गणना से वीवीपीएटी के मिलान के लिए प्रत्येक विधानसभा सीट पर पांच मतदान केंद्रों का चयन किया जाता है. 2017 गोवा विधानसभा चुनाव के बाद से सभी ईवीएम में इन मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है.


आज आपको याद दिला दें, करीब एक साल पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया था. इस आदेश के अनुसार, हर विधानसभा क्षेत्र से 1 की बजाय 5 EVM के नतीजों का VVPAT की पर्चियों से मिलान करना अनिवार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को ज्यादा विश्वसनीय बनाने के लिए ये आदेश दिया था. कोर्ट ने जिस याचिका पर ये आदेश दिया है, वो 21 विपक्षी पार्टियों ने दाखिल की थी.


क्या है कोर्ट का पूरा आदेश
कांग्रेस, सपा, बसपा, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और तेलगु देशम समेत कुल 21 पार्टियों ने मांग की थी कि कोर्ट चुनाव में इस्तेमाल हुई EVM मशीनों की आधी संख्या का मिलान VVPAT से निकली पर्चियों से करवाए. इसपर कोर्ट ने कहा था, "याचिका में जो मांग की गई है, उससे मौजूदा मिलान प्रक्रिया 125 गुणा बढ़ जाएगी. ये पूरी तरह अव्यवहारिक होगा. लेकिन फिर भी हम इस दलील से सहमत हैं कि चुनाव प्रक्रिया को ज्यादा विश्वसनीय बनाने की कोशिश करनी चाहिए. इसलिए ये आदेश देते हैं कि हर विधानसभा क्षेत्र से 5 EVM मशीनों का VVPAT की पर्चियों से मिलान करवाया जाए."


यह भी पढ़ें-


बिहार में अबतक कोरोना ने ली 1281 लोगों की जान, 2.37 लाख लोग हुए संक्रमित


बिहार: मौसम खराब होने के कारण मुंबई से दरभंगा जाने वाली फ्लाइट की कराई गई इमरजेंसी लैंडिंग, सभी यात्री सुरक्षित