पटना: कोरोना संकट के बीच शुक्रवार को डीएमसीएच के औषधि विभाग के विभागाध्यक्ष ने पत्र लिखकर उन्हें पदमुक्त कर देने की मांग की. उन्होंने डीएमसीएच के प्राचार्य को लिखे पत्र में कहा, " औषधि विभाग में कोरोना को ले कर आपातकाल जैसी स्थिति है. ऑक्सीजन के लिए मैं बार-बार अधीक्षक, जिलाधिकारी, कोविड सेल को सूचना देते रहा हूं, लेकिन समस्या का कोई भी सार्थक निदान अभी तक नहीं हुआ है. इसलिए अनुरोध है कि बिहार सरकार, स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिए गए अधिकार को उपयोग करते हुए मुझे विभागाध्यक्ष के पद से हटाया जाए औए विभाग का काम सुचारू रूप से चलाने के लिए किसी और सक्षम पदाधिकारी को नियुक्त किया जाए." 


अस्पताल की विधि-व्यावस्थ्य पर बड़ा प्रश्नचिन्ह


बता दें कि डीएमसीएच मिथिलांचल का सबसे बड़ा अस्पताल है, जहां फिलहाल कोरोना के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अस्पताल में आसपास के जिले जैसे- सुपौल और सहरसा के लोग भी कोरोना संक्रमित होने के बाद इलाज कराने पहुंच रहे हैं. इस बीच औषधि विभाग के विभागाध्यक्ष की ओर से लिखे गए पत्र ने अस्पताल की विधि-व्यावस्थ्य पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है. 


प्राचार्य को लिखे गए पत्र में औषधि विभाग के विभागाध्यक्ष ने कहा, " औषधि विभाग में कोरोना को ले कर आपातकाल जैसी स्थिति है. सैकड़ों मरीज वार्ड में या तो कोरोना से या अन्य बिगाड़ी से पीड़ित होकर भर्ती रहते हैं. अपने सीमित अधिकार और सीमित संसाधन के तहत औषधि विभाग के सारे डॉक्टरों, पीजी छात्रों और अन्य कर्मचारियों को उनके कार्यक्षमता के अनुरूप काम पर लगाया गया है. फिर भी जिलाधिकारी और अन्य श्रोतों से मेरे कार्यक्षमता को लेकर असंतोष जाहिर किया जाता है."


ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने पर ठहराया जाता है दोषी


उन्होंने कहा, " ऐसी परिस्थति में विभागाध्यक्ष का काम एवं कोविड-वार्ड का पूरा देख-रेख सीमित संसाधनों के तहत पूरा नहीं किया जा सकता है. इस महामारी और आपातकाल में ऑक्सीजन की सप्लाई और मैनपावर की उपलब्धता कराना अस्पताल अधीक्षक और प्राचार्य का काम है, लेकिन ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने पर विभागाध्यक्ष को ही दोषी ठहराया जाता है. ऑक्सीजन के सप्लाई का आदेश अधीक्षक देते हैं और संवेदक उसकी पूर्ति करते हैं." 


उन्होंने कहा, " बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए उस अनुपात में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने का कारण अधीक्षक या संवेदक ही बता सकते हैं, जिस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है. 6 मई की रात में औषधि विभाग में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई और जब मुझे लगा की ऑक्सीजन के अभाव में औषधि विभाग में बहुत सारे मरीज दम तोड सकते हैं, तो ऐसी स्थिति में मैंने अधीक्षक और प्राचार्य को त्राहिमाम संदेश भेजा फिर भी ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हुई.


औषधि विभाग के विभागाध्यक्ष ने लिखा, " मैंने उप विकास आयुक्त कॉल पर इसकी सूचना दी और उनसे अनुरोध किया की कोविड वार्ड में ऑक्सीजन सिलिंडर है, उसे तत्कालीक औषधि विभाग में भेज कर इस समस्या का समाधान निकाला जाए. उप विकास आयुक्त ने अपने आदेश से ऑक्सीजन की आपूर्ति करवाया, जिससे की मरीजों की जान बचाई जा सकी."


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