पटना: बिहार में नीतीश कैबिनेट  (Nitish Cabinet) ने जाति आधारित जनगणना (Caste Based Census) को छह महीने के अंदर कराए जाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है. साथ ही इसके लिए 500 करोड़ रुपए की राशि भी मंजूर कर दी गई. कैबिनेट के फ़ैसले पर बीजेपी (BJP) साथ तो है, पर राजनीति का एक चैप्टर खुल गया है. बीजेपी ने दबाव में आकर हां तो कर दी, लेकिन अब कसक निकालने के लिए नई मांग सामने रख दी. नीतीश कैबिनेट की बैठक के बाद बाहर आए मंत्री ने कहा कि छह महीने के अंदर जातिगत गणना के इस फैसले में बीजेपी सरकार के साथ है, लेकिन उनके समर्थन के अंदर टीस झलक रही है.


दरअसल, जातीय गणना कराने के साथ अब बीजेपी ने जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Law) बनाने की मांग कर दी है. कैबिनेट की बैठक में शामिल वन पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार बबलू (Neeraj Kumar Bablu) ने कहा कि जातिगत गणना तो अब हो ही रहा है, अब जल्द से जल्द जनसंख्या नियंत्रण क़ानून भी बिहार में लागू हो जाए. ताकि बिहार में जिस रफ़्तार से एक धर्म की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है उसकी जानकारी भी जनता के समाने आए. अब इसमे ज़रा भी देर नहीं होनी चाहिए कि बिहार में जनसंख्या नियंत्रण क़ानून लागू हो.


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जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बीजेपी का स्टैंड


दूसरी तरफ जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बीजेपी ने स्टैंड ले लिया है तो जेडीयू ने इस मांग को रिजेक्ट कर दिया. बीजेपी की जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू कराए जाने का प्रस्ताव दिया तो जेडीयू ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है. जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही साफ कर दिया है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून की जरूरत नहीं है. शिक्षा और जागरूकता से जनसंख्या की समस्या को दूर किया जा सकता है.


बिहार NDA में दबाव की राजनीति


बिहार में जाति आधारित जनगणना पर जितनी तेजी से नीतीश कुमार आगे बढ़ रहे हैं, इसपर उतनी ही तेजी से बीजेपी भी जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर आगे बढ़ रही है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई मंत्री ने जाति आधारित गिनती में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिए की गिनती को रोकने के लिए भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है.


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