लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बिहार की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सीधे तौर पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष को रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए, लेकिन तेजस्वी का व्यवहार समझ से परे है. चिराग के इस बयान ने बिहार की सियासत में नई बहस को जन्म दे दिया है.
चिराग पासवान ने कहा कि चुनाव में हार या जीत राजनीति का हिस्सा है, लेकिन जनता और मीडिया के सवालों से भागना किसी भी राजनेता की गरिमा के अनुरूप नहीं है. उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय नतीजे उनके पक्ष में नहीं आए थे, फिर भी वे सबसे पहले मीडिया के सामने आए और अपनी हार स्वीकार की. चिराग ने कहा कि 2020 में जब हमारे परिणाम अनुकूल नहीं आए, तब मैंने न केवल हार स्वीकार की, बल्कि हर कठिन सवाल का सार्वजनिक रूप से जवाब भी दिया. यही राजनीति की मर्यादा है.
विपक्ष ने शपथ ग्रहण समारोह से बनाई दूरी- चिराग पासवान
चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष ने चुनाव परिणाम आने के बाद से अब तक जनता के सामने स्पष्ट रूप से अपनी बात नहीं रखी. चिराग ने यह भी कहा कि बिहार में नई सरकार बन चुकी है और शपथ ग्रहण समारोह भी हो चुका है, ऐसे में विपक्ष की जिम्मेदारी थी कि वह इस महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होता, लेकिन तेजस्वी यादव का शपथ समारोह से दूरी बनाना और मीडिया से पूरी तरह बचना कई सवाल खड़े करता है.
लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सत्ता पक्ष की- पासवान
चिराग पासवान ने आगे कहा कि अगर आप एक हार से इतने निराश हैं कि आप पब्लिक और मीडिया के सवालों से ही बच रहे हैं, तो यह राजनीतिक परिपक्वता नहीं कहलाती. जनता चाहती है कि विपक्ष सक्रिय रहे, सवाल पूछे और सरकार को जवाबदेह बनाए, लेकिन यहां स्थिति उलट दिखाई दे रही है. उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी सत्ता पक्ष की. अगर विपक्ष कमजोर पड़ेगा या जिम्मेदार व्यवहार नहीं दिखाएगा, तो इसका सीधा असर जनता की अपेक्षाओं पर पड़ेगा.
तेजस्वी की चुप्पी विपक्ष को कर रही कमजोर- चिराग
चिराग का यह बयान उस समय आया है जब बिहार में नई सरकार के गठन के बाद विपक्ष की रणनीति और नेतृत्व को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. तेजस्वी यादव की चुप्पी और सार्वजनिक मंचों से दूरी विपक्ष की कमजोर होती स्थिति को दर्शा रही है. बिहार की राजनीति इस समय नए समीकरणों, नए चेहरे और नई चुनौतियों के दौर से गुजर रही है. ऐसे में चिराग का यह बयान न सिर्फ विपक्ष की भूमिका पर सवाल उठाता है, बल्कि आने वाले दिनों की राजनीतिक दिशा का संकेत भी देता है.
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