पटना: बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चिराग पासवान (Chirag Paswan) को पत्र लिखा है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में एनडीए (NDA) के घटक दलों की बैठक 18 जुलाई को बैठक होगी. इस बैठक में चिराग पासवान भी शामिल होंगे. जेपी नड्डा (JP Nadda) के इस पत्र के बाद बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है. चिराग पासवान को नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का 'हनुमान' कहा जाता है. चिराग पासवान एनडीए गठबंधन में रहकर और गठबंधन से बाहर रहकर भी बीजेपी (BJP) का सहयोग करते रहे हैं. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने ही नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के खेल को बिगाड़ दिया था. वहीं, चिराग पासवान के एनडीए में शामिल होने के बाद महागठबंधन की चिंता बढ़ जाएगी. इन दिनों बिहार में चिराग पासवान को अपार समर्थन मिल रहा है.


बिहार में चिराग की है काफी लोकप्रियता


बिहार के लगभग 56 फीसदी वोटर्स 18 से 40 साल के बीच के आयु समूह के हैं. चिराग पासवान बिहार के ही नहीं देश में उभरते हुए एक युवा नेता हैं. बिहार में इनकी लोकप्रियता काफी है. तेजस्वी, चिराग, कन्हैया, पीके के बाद, बीजेपी ने भी इस सच को समझते हुए एक युवा, सम्राट चौधरी को राज्य की कमान सौंपी है. नीतीश कुमार के बाद बिहार को एक युवा मुख्यमंत्री मिले तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. चिराग पासवान की पार्टी की पकड़ सभी जातियों में है. चिराग को सभी जाति के लोग पसंद करते हैं.


चिराग के रणनीति  में फंस चुके हैं नीतीश


2020 विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने 135 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया और ज्यादातर ऐसी सीटों पर उम्मीदवार दिए जहां से जेडीयू के उम्मीदवार मैदान में थे. हालांकि यह भी कहा गया कि वे यह सब बीजेपी के इशारे पर कर रहे थे. नतीजा यह हुआ कि करीब 6 फीसदी वोट पा कर खुद की पार्टी को तो नहीं जीत दिला पाए लेकिन जेडीयू की सीटों की संख्या पिछले चुनाव के मुकाबले 28 कम करने में वे सफल रहे. जेडीयू 43 सीटों पर ही जीत सकी. चिराग के इस खेल से नीतीश कुमार को काफी नुकसान हुआ था.


बिहार पर बीजेपी की है खास नजर


अभी 2024 में लोकसभा चुनाव और 2025 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में बीजेपी बिहार में काफी फोकस की हुई है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार का कई बार दौरा कर चुके हैं. इसके साथ ही बीजेपी इन दिनों नीतीश के खिलाफ वाले सभी नेताओं को भाव दे रही है. इसमें उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी और चिराग शामिल हैं. बीजेपी को चिराग से ज्यादा उम्मीद है. बीजेपी चिराग का करामात 20220 चुनाव में देख चुकी है.


महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं


2024 और 2025 चुनाव में बीजेपी चिराग को पिछली बार से ज्यादा सीटें दे सकती है. बीजेपी नीतीश कुमार को पूरी तरह से डैमेज करना चाहती है. इसके लिए बीजेपी एक बार फिर चिराग पासवान पर भरोसा करेगी. बिहार की राजनीति को चिराग पासवान अच्छे से समझते हैं. चिराग पासवान लगातार बिहार के सभी जिलों में दौरा कर रहे हैं. एक सीटों पर जीत की समीकरण तैयार कर रहे हैं. चिराग के इस समीकरण से बीजेपी को काफी लाभ मिलेगा. चुनावी मैदान में महागठबंधन के खिलाफ चिराग पासवान ऐसे उम्मीदवार को उतारेंगे जो महागठबंधन को मात दे सके. बिहार की राजनीति में चिराग पासवान के अनुभव से बीजेपी की सीट शेयरिंग जीत के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा. चिराग पासवान सीएम नीतीश कुमार को एकबार पटखनी दे चुके हैं. इस बार भी महागठबंधन की मुश्किलें बढ़ने वाली है.


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