पटना: लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अध्यक्ष चिराग पासवान के लिए बीते चार दिन बेहद चुनौतीपूर्ण रहे हैं. पिछले करीब डेढ़ महीने से खराब तबियत से जूझ रहे चिराग के लिए आगे का रास्ता और दुर्गम है. पिता रामविलास पासवान की मृत्यु के चंद महीनों के भीतर ही उनकी पार्टी टूट के कगार पर पहुंच चुकी है. ऐसे में जब बुधवार को वो पहली बार सार्वजनिक मंच पर आए तो दर्द साफ छलक पड़ा. चिराग ने कहा कि उन्हें ज्यादा दुख इस बात का हुआ है कि उनके बीमार रहते पार्टी में उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया.


चिराग पासवान ने कहा कि उन्हें उनके पिता की मृत्यु पर अनाथ होने का एहसास नहीं हुआ था लेकिन आज हुआ है क्योंकि पिता तुल्य चाचा ने उनका साथ छोड़ दिया है. हालांकि चिराग पासवान ने ये साफ किया कि वो आगे की चुनौती और संघर्ष के लिए तैयार हैं.


आगे तक जाएगी पार्टी पर नियंत्रण की लड़ाई
उन्होंने साफ संकेत दिया कि पार्टी पर आधिपत्य की लड़ाई में वो पीछे नहीं हटने वाले हैं. चिराग ने कहा कि पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते पार्टी पर उनका अधिकार है और दावा किया कि पार्टी के संविधान के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष तभी बदल सकता है जब पदासीन अध्यक्ष की या तो मृत्यु हो जाए या फिर वो खुद इस्तीफा दे दे. चिराग पासवान के तेवर से साफ है कि लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर पार्टी पर नियंत्रण की लड़ाई अब काफी आगे तक जाएगी. 


अपने चाचा पशुपति पारस पर हमला करते हुए चिराग पासवान ने कहा कि उन्होंने पहले भी पार्टी तोड़ने की कोशिश की है. चिराग ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी पार्टी और अपने परिवार को एकजुट रखने की कोशिश की और अगर उनके चाचा ने संसदीय दल के नेता बनने की इच्छा पहले जताई होती तो वो तैयार हो गए होते. 


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