Chaiti Chhath: आज शुक्रवार (12 अप्रैल) से चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व चैती छठ शुरू हो गया है. आज पहला दिन नहाय-खाय है. इसके बाद कल शनिवार (13 अप्रैल) को खरना होगा, रविवार (14 अप्रैल) को शाम के अर्घ्य के साथ सोमवार (15 अप्रैल) को सुबह में भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही यह पर्व समाप्त हो जाएगा.


आज पहले दिन छठ व्रती पूरी शुद्धता के साथ कद्दू-भात से नहाय-खाय करेंगे. शनिवार को खरना होगा जिसमें छठ व्रती पूरे दिन उपवास रखकर शाम में खीर और रोटी से खरना करेंगे. इसके बाद 36 घंटे तक निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. पहले दिन नहाय-खाय पर सुबह-सुबह पटना के घाटों पर छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ी. लोग गंगा स्नान कर जल भरकर घर ले गए.


छठ में कोई गलती ना हो और शुद्धता में कोई कमी ना हो इसका पूरा ख्याल रखा जाता है. पूरे साल में छठ दो बार मनाया जाता है. दूसरा छठ हिंदी महीने के कार्तिक माह में अक्टूबर-नवंबर महीने में होता है, लेकिन चैती छठ भी काफी व्रती करते हैं. ऐसी मान्यता है कि चैत्र महीना हिंदी महीना का शुरुआती माह है इसलिए इसका विशेष महत्व माना जाता है. छठ में घर के सदस्य के अलावा आसपास के लोग भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं. घाटों पर और रास्तों में सफाई भी करते हैं.


108 घाटों का किया गया मुआयना


जल संसाधन विभाग ने राजधानी पटना में चैती छठ को लेकर पटना सिटी के दीदारगंज से दानापुर तक के बीच करीब 108 घाटों का मुआयना किया. इसमें खतरनाक घाटों के कुछ नाम बताए गए हैं. वहां जाने से मना किया गया है. लिस्ट के अनुसार पांच घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है. इन घाटों का उपयोग प्रतिबंधित है. आम जनता से अनुरोध किया गया है कि इन घाटों की ओर न जाएं. खतरनाक घाटों में हल्दी छपरा घाट, जनार्दन घाट, कोयला घाट, लोहरवा घाट और सीता घाट शामिल है.


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