गया जिले के बोधगया में सामाजिक कार्यकर्ता 50 वर्षीय रामजी मांझी अशिक्षा के पिंजरे में कैद गरीब बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे है. दरअसल, बोधगया के महाबोधी मंदिर के परिसर में बच्चें विदेशी पर्यटकों से भीख मांगा करते थे. जब रामजी मांझी की नजर इन बच्चों पर पड़ी तो उन्होंने इनको शिक्षित करने का मन बना लिया.

Continues below advertisement

बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल में गाय और भैंस चराने वालों को शिक्षित करने के लिए चरवाहा स्कूल खोला था. लेकिन देख रेख के अभाव में लालू यादव की सरकार के समय ही स्कूल बंद हो गया. बोधगया प्रखंड के बकरौर पंचायत के महादलित टोला में कई सालों से बंद पड़े चरवाहा स्कूल के भवन में रामजी मांझी ने गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया.

भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ा रहे रामजी मांझी

रामजी मांझी के अनुसार, स्कूल के परिसर में पढ़ने वाले सभी बच्चे महाबोधी मंदिर में विदेशी पर्यटकों से भीख मांगने का काम किया करते थे. इसी तरह इनका वक्त गुजरा करता था. साथ ही कहा कि कुछ स्थानीय लोगों की मदद से एक-एक कर बच्चों को जोड़ना शुरू किया. आज सभी बच्चे भीख मांगने का काम छोड़कर सिर्फ पढ़ाई करते हैं.

Continues below advertisement

170 बच्चों को शिक्षित कर रहे रामजी मांझी

शिक्षक सह सामाजिक कार्यकर्ता रामजी मांझी ने बताया कि शुरुआती दिनों में बच्चों की संख्या कम थी, लेकिन धीरे-धीरे बच्चों को जैसे ही पता चला तो अन्य बच्चे भी यहां पढ़ाई के लिए आने लगे. अब स्कूल में 170 बच्चे पढ़ रहे है. आज यह बच्चे भीख मांगना छोड़कर स्कूल में पढ़ाई करने आते है.

अपने खर्च से बच्चों को देते है कॉपी और किताब

स्कूल प्रतिदिन सुबह 8 बजे से शुरू होता है जो 12 बजे तक चलता है. वह खुद दुकान चलाकर अपने खर्च पर बच्चों के लिए कॉपी,किताब देने के साथ-साथ स्थानीय युवकों को (जो वहां शिक्षक के रूप में पढ़ाते है) पैसा देते है. आज यह भीख मांगने वाले सभी बच्चे शिक्षा के जरिए अपनी जिंदगी बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़िए - बक्सर में हिंदू शख्स ने पेश की मिसाल, इकलौते बेटे की याद में कब्रिस्तान को दान दी 1 बीघा जमीन