पटना: भले ही रेजीड्यूजड माइंडेड हो, पर 2025 तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने रहेंगे. बीजेपी पूरी मजबूती से उनकी पीछे खड़ी रहेगी. इसमें कोई इफ एंड बट का सवाल नहीं है. उक्त बातें बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि कृपा की बात ही कहां हो रही है. नीतीश कुमार अपनी ताकत पर हैं. उन्होंने जो बिहार में काम किया है. वह अगर हैं तो अपनी ताकत पर हैं. अपनी लोकप्रियता के कारण हैं. अभी 2022 ही है. उसके बाद क्या होगा 2024 में तय करेगी पार्टी.


आरसीपी सिंह के बारे में मुझे जानकारी नहीं


जहां तक मैं समझता हूं कि आरसीपी सिंह जब केंद्र में मंत्री बने तो बिना नीतीश कुमार के सहमति के नहीं बने होंगे. चुकी जनता दल (यू) में जो कुछ भी निर्णय होता है नीतीश कुमार के बिना नहीं हुआ होगा और होनी भी नहीं चाहिए. ऐसे में इतना बड़ा निर्णय (आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने) बिना उनके जानकारी के नहीं हो सकता है. मुझे तो नहीं लगता है. अब क्या परिस्थिति बनी 2019/20 में मै नहीं जानता हूं, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है जो कुछ भी हुआ होगा उनकी सहमति से ही हुआ होगा.


धर्मेंद्र प्रधान और अमित शाह से नीतीश की क्या बात हुई?


देखिए, यह सब बहुत ऊपर का विषय है. यह मेरे दायरे का विषय नहीं है. अभी धर्मेंद्र प्रधान आए थे. उनकी साथ नीतीश कुमार की दो घंटा बात हुई. क्या बातचीत हुई? मुझे नहीं मालूम है. जब अमित शाह गए थे बिहार के दौरे पर तो नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई थी. एयरपोर्ट पर उनकी बातचीत हुई होगी तो देखिए यह सारा विषय स्टेट बीजेपी के दायरे की बाहर की चीज है. नीतीश कुमार केवल बिहार के मुख्यमंत्री नहीं हैं, राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं. उनकी जो भी बातचीत होती होगी अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से और जो ऊपर लोग होंगे वही लोग इन बातों को जवाब दे सकते हैं. मेरे दायरे की बाहर की चीज है.


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इस जन्म में दोबारा आरजेडी के साथ नहीं जाएंगे नीतीश कुमार


इन हाइपोथेटिकल बातों का जवाब देना बहुत कठिन है. ना तो चारों (आरजेडी, जेडीयू, वीआईपी और लोजपा रामविलास) दल मिलेंगे. और वैसे भी कौन मिलेगा नहीं मिलेगा क्या-क्या होगा? मुझे नहीं लगता कि चारों मिल सकते हैं और बीजेपी ऐसा नहीं होने देगी. आज हम आपको बता देते हैं. क्योंकि हमें भी तो राजनीति करना है बिहार के अंदर. ऐसे में हम लोग क्यों चाहेंगे कि सब मिल जाए. देखिए नीतीश कुमार के पार्टी में कुछ लोगों के मन में हो सकता है तो मुझे पता नहीं, लेकिन नीतीश कुमार इस जन्म में दोबारा आरजेडी के साथ जा सकते हैं, मुझे नहीं लगता है.


नीतीश कुमार ने बिहार में विकास की गाड़ी नहीं रुकने दी


देखिए जब पॉलिटिकल इंसेंटिव एलिटी होती है तो थोड़ा इसका प्रभाव पड़ता है, लेकिन कुल मिलाकर इसका प्रभाव नहीं पड़ा है. नीतीश कुमार की खासियत है कि हर परिस्थिति में वह काम करते रहते हैं. इसलिए जब आरजेडी के साथ रहे या बीजेपी के साथ रहे हो. उन्होंने विकास की गाड़ी को रुकने नहीं दिया. यह बात ठीक है कि तब कांग्रेस के जो लोग मंत्री थे. उन लोगों के विभागों का काम जितना होना चाहिए था उतना नहीं हुआ और यह भी एक कारण रहा होगा, जिसके कारण नीतीश कुमार उनका साथ छोड़कर बीजेपी से हाथ मिलाए हैं. बीजेपी-जदयू का मतलब विकास. बीजेपी-जदयू का मतलब है नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की सरकार और रफ्तार.


क्या बीजेपी-जेडीयू के बीच बढ़ रहा कम्युनिकेशन गैप


मुझे ऐसा लगता नहीं है कोई कम्युनिकेशन गैप है. तारकिशोर प्रसाद उप मुख्यमंत्री हैं और दोनों की हमेशा मुलाकात होती है. मंगल पांडे पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, शाहनवाज भाई हैं. पहले भी तो यही होता था. पार्टी के जो लोग हैं स्टेट में उनकी मुलाकात होती है. सरकार चला रहे हैं तो मुद्दों पर परामर्श होता ही होगा और केंद्रीय स्तर पर धर्मेंद्र प्रधान और अमित शाह से मुलाकात हुई तो राजनीति में यही तो होता है परामर्श, विमर्श, चर्चा, मिलना-जुलना, इसमें कहां गैप है? मुझे तो नहीं लगता है. हां, यह बात ठीक है कि अरुण जेटली जब थे तब एक अलग स्थिति थी. अरुण जेटली का स्थान तो कोई नहीं ले सकता है, लेकिन अरुण जेटली के जाने के बाद भी बीजेपी का बहुत बेहतर कम्युनिकेशन है.


क्या बिहार की राजनीति से सुशील मोदी को किया गया दरकिनार?


दरकिनार कोई नहीं होता है. उन्होंने नए लोग को पार्टी के अंदर लाया गया, जो यंगस्टर है और अगले 15-20 साल तक काम कर सकते हैं. यह तो प्रकृति का नियम है कि नए लोग आगे आते हैं और पुराने लोग जो हैं नए लोगों को रास्ता देते हैं. मैं तो राज्यसभा में बड़ा इंजॉय कर रहा हूं. मुझे तो लग रहा है कि मुझे अच्छा अवसर मिला है भारत की संसद में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए.


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