जगद्गुरु रामभद्राचार्य की ओर से जातिगत व्यवस्था को खत्म करने की वकालत करने के बाद बिहार में सियासत तेज हो गई है. मंगलवार (25 नवंबर, 2025) को सांसद पप्पू यादव ने कहा कि रामभद्राचार्य कौन हैं हमको नहीं पता है. उन्होंने कहा, "ये अंधा, काना, बहरा, गूंगा, इन लोगों का इलाज अंबेडकरवादी विचारों से होगा. अंबेडकर पहले ही कह चुके हैं कि हम वसुदेव कुटुंब और सनातन वाले लोग हैं. धार्मिक वाले लोग नहीं हैं."
'प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए'
बीजेपी के मंत्री लखेंद्र कुमार ने रामभद्राचार्य के बयान का समर्थन करते हुए कहा है कि जातिगत विभाजन राष्ट्र को कमजोर करता है. इस पर कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा कि ऐसे बयानों पर सबसे पहले प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. जो आरक्षण और एससी-एसटी एक्ट है वह संविधान ने दिया है. जो इसे खत्म करने की कोशिश करेगा वह खुद ही खत्म हो जाएगा. वंचित वर्गों के खिलाफ आरएसएस और बीजेपी की मनसा ऐसे बयानों से स्पष्ट दिखाई देता है.
आरक्षण को कोई छू नहीं सकता: जेडीयू
विवाद बढ़ता देख इस पर जेडीयू के प्रवक्ता अरविंद निषाद ने बीजेपी कोटे के मंत्री के बयान से किनारा करते हुए कहा कि कौन क्या कहता है यह मैं नहीं जानता. आरक्षण को कोई छू नहीं सकता है. यह देश बाबा साहब भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए संविधान से चलेगा.
'एससी-एसटी एक्ट से दलितों पर अत्याचार हुए कम'
उधर आरजेडी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि यह दलितों पर, अति पिछड़ों पर, वंचितों पर अत्याचार करना चाहते हैं. एससी-एसटी एक्ट की वजह से दलितों पर अत्याचार कम हुए हैं. इन लोगों के बयान बताते हैं कि आरएसएस और बीजेपी वाले क्या सोच रखते हैं.
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