पटनाः बीजेपी और जेडीयू के बीच सोशल मीडिया पर वार-पलटवार जारी है. कल तक थूक और पहलवान जैसे शब्दों का इस्तेमाल हो रहा था लेकिन अब एक दूसरे को औकात दिखाने की बात होने लगी है. जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) ने धमकी दी कि बीजेपी के 76 लाख कार्यकर्ता जवाब देना जानते हैं. उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि अब एक तरफा नहीं चलेगा. हर बात पर पीएम को टैग न करें. पीएम हमारा अभिमान हैं. संजय जायसवाल ने फेसबुक पर क्या लिखा उसे नीचे पूरा पढ़ें.


‘चलिए माननीय जी को यह समझ आ गया कि एनडीए गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और बिल्कुल मजबूत है इसलिए हम सभी को साथ चलना है. फिर बार-बार महोदय मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग कर न जाने क्यों प्रश्न करते हैं. एनडीए गठबंधन को मजबूत रखने के लिए हम सभी को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए. यह एकतरफा अब नहीं चलेगा. इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर ट्विटर ना खेलें. प्रधानमंत्री जी प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी. उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो जैसा माननीय ने लिखा है कि बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए.’


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‘टि्वटर टि्वटर खेलकर अगर उन पर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे. आप सब बड़े नेता हैं. एक बिहार में एवं दूसरे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. फिर इस तरह की बात कहना कि राष्ट्रपति जी द्वारा दिए गए पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें, इससे ज्यादा बकवास हो ही नहीं सकता. दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं क्योंकि आपके लिए यह मुद्दा बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है.’


‘हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते. पर हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा आने वाली पीढ़ियों को बताई जाए. 74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो. पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद भी राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया क्योंकि पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं. जबकि चाहे वह हरिद्वार में घटित धर्म संसद हो या सैकड़ों हेट स्पीच, सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती. इसलिए सबसे पहले बिहार सरकार दया प्रकाश सिन्हा जी को मेरे एफआईआर के आलोक में गिरफ्तार करे और फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलवाए. उसके बाद बिहार सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास जाकर हम सबों की बात रखे कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए.’


‘बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले यह सिर्फ हमारी जिम्मेवारी नहीं बल्कि आप की भी है. अगर कोई समस्या है तो हम सब मिल बैठकर उसका समाधान निकालें. हमारे केंद्रीय नेताओं से कुछ चाहते हैं तो उनसे भी सीधे बात होनी चाहिए. हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि पुनः मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए. अभी भेड़िया स्वर्ण मृग की भांति नकली हिरण की खाल पहनकर अठखेलियां कर जनता को आकृष्ट कर रहा है. एक पूरी पीढ़ी जो 2005 के बाद मतदाता बनी है वह उन स्थितियों को नहीं जानती और बिना समझे कि यह रावण का षड्यंत्र है स्वर्ण मृग पर आकर्षित हो रही है. यथार्थ बताना हम सभी का दायित्व भी है और कर्तव्य भी.’


संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि वह बिहार बीजेपी नेताओं का नोटिस नहीं लेते. गठबंधन पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व करता है. संजय जायसवाल ने इसी पर अपना बयान जारी किया है.


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