Chirag Paswan: चिराग पासवान की पार्टी के साथ खेला हो सकता है. बिहार में मुख्य विपक्षी दल आरजेडी के विधायक मुकेश रोशन (Mukesh Roshan) के इस दावे से खलबली मच गई है. मुकेश रोशन ने कहा है कि चिराग पासवान के तीन सांसदों को अपने कब्जे में लेने के लिए बीजेपी (BJP) ने पहल शुरू कर दी है. ऐसे में कई तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं क्या केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का मोदी सरकार से मोह भंग हो गया है? क्या बीजेपी सच में चिराग के सांसदों को तोड़ने वाली है? पांच प्वाइंट और नेताओं के बयान से इसे समझिए.

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सबसे पहले यह जान लें कि पार्टी में टूट का दावा आरजेडी के विधायक मुकेश रोशन ने किया है. कहा है कि बहुत जल्द यह नतीजा आएगा कि एलजेपी रामविलास के तीन सांसद बीजेपी में समाहित हो जाएंगे. बीजेपी का यह इतिहास रहा है. कई विधायकों को उन्होंने अपने पाले में किया है. विकासशील इंसान पार्टी को समाप्त करने का काम किया. अब एलजेपी पर लगी है. जब-जब चिराग पासवान आंख दिखाते हैं तो उनका इलाज करना वो लोग शुरू कर देते हैं. हालांकि इस पूरे मामले पर एलजेपी रामविलास के प्रवक्ता राजू तिवारी ने कहा है कि इस तरह के बयान का कोई मतलब नहीं है. इस तरह की बातों पर जवाब देना वह कतई उचित नहीं समझते हैं.

विपक्ष ने क्यों किया टूट का दावा?

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एलजेपी रामविलास की पार्टी में टूट हो या ना हो लेकिन इस दावे के पीछे कई ऐसे कारण हैं जिसके चलते इस तरीके का बयान दिया गया है. दरअसल चिराग पासवान केंद्र में मंत्री हैं. वो पिछले कुछ दिनों से मोदी सरकार की लाइन से अलग चल रहे हैं. कई फैसलों का विरोध कर चुके हैं. ऐसे में इसको लेकर विपक्ष हवा देने की कोशिश कर रहा है. 

पांच कारणों से समझें क्यों उठ रहे सवाल

  • चिराग पासवान ने कोटा के अंदर कोटा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया. उन्होंने केंद्र सरकार के फैसले से अपना निर्णय अलग रखा.
  • लेटरल एंट्री से हाल में 45 पदों पर नियुक्ति निकली थी. इस पर उन्होंने खुलकर बोला. उन्होंने केंद्र को घेरा. बाद में इस फैसले को रद्द करना पड़ा.
  • केंद्र सरकार की ओर से जब लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश किया गया तो इसका विरोध किया. वक्फ बोर्ड बिल को जेपीसी में भेजने की मांग की.
  • झारखंड में उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. बीते 25 अगस्त को उन्होंने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की थी. उन्होंने यह भी कहा था कि बात नहीं बनी तो अकेले भी वहां वो चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.
  • जातीय जनगणना को लेकर विपक्ष के सुर में सुर मिला चुके हैं. 

टूट के दावों पर चिराग पासवान ने क्या कहा?

हालांकि तमाम दावों के बीच चिराग पासवान ने पार्टी में टूट को लेकर उठाए जा रहे सवाल पर बीते गुरुवार (29 अगस्त) को प्रतिक्रिया दी. चिराग ने कहा कि कांच की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती. मेरी पार्टी के सांसद खुद स्पष्टीकरण दे चुके हैं. मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने पर भी उन्हीं लोगों की सहमति थी. जो लोग सोचते हैं कि इस तरीके की सोच या अफवाह को हवा देकर चिराग पासवान को डरा दिया जाएगा तो यह कांच की हांडी बार-बार नहीं चढ़ेगी.

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही पशुपति पारस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसके साथ ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने भी पशुपति पारस से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद पारस ने भरोसा दिलाया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी एनडीए के साथ रहेगी. ऐसे में इसे भी दूसरे एंगल से देखा जा रहा है.

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