Bihar Politics: बिहार में बीते दो दिनों से राजनीतिक अटकलों के बीच कयासों का दौर शुरू हो गया है. एक ओर जहां सूत्रों का दावा है कि बिहार में मौजूदा सरकार बस कुछ दिनों की मेहमान है तो वहीं जदयू ने इन कयासों को खारिज किया है. इतना ही नहीं सूत्रों का यह भी दावा है कि जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के संपर्क में कुछ विधायक हैं और राज्य में महाराष्ट्र का फार्मूला लागू हो सकता है. इन सबके बीच राज्य में नए राजनीतिक समीकरणों पर चर्चा शुरू हो गई है. दावा किया जा रहा है कि बिहार की सरकार और राजनीति में 15 अगस्त तक नई तस्वीर सामने आ सकती है. 


आइए हम उन परिस्थितयों की बात करें जो भविष्य में बिहार की राजनीति का नया रुख तय कर सकती हैं-


नीतीश को सीएम स्वीकार करेगी RJD?
संभावित नए राजनीतिक समीकरण की बात करें तो माना जा रहा है कि जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल के बीच फिर से साल 2015 सरीखा गठबंधन हो सकता है. हालांकि दोनों दलों के आंकड़ों की गणित में इस बार RJD आगे है. आरजेडी के फिलहाल 77 विधायक हैं, वहीं जदयू के 45 विधायक हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अगर राजद और जदयू में फिर से गठबंधन के आसार बने तो लालू यादव की अगुवाई वाली पार्टी नीतीश कुमार को सीएम पद के लिए स्वीकार कर पाएगी या नहीं.


BJP हाईकमान संपर्क कर तो...
माना जा रहा है कि इस राजनीतिक घटनाक्रम पर बीजेपी हाईकमान की नजर है. अगर वह नीतीश कुमार से संपर्क करे तो संभव है कि वह मान जाएं और गठबंधन ना तोड़ें. दरअसल, जदयू ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि बीजेपी ने आरसीपी सिंह को भड़काया और उन्हें पार्टी के खिलाफ इस्तेमाल किया. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर बीजेपी, नीतीश से संपर्क स्थापित करके अपना पक्ष रखे तो संभव है कि धुंधली तस्वीर साफ हो जाएगी.


केंद्रीय मंत्रिमंडल में उचित हिस्सा चाहती है जदयू?
इसके अलावा यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जदयू, केंद्रीय मंत्रिमंडल में उचित हिस्सा चाहती है. समझा जाता है कि जदयू, केंद्रीय मंत्रिमंडल में दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री पद चाहती है, हालांकि सूत्रों का दावा है कि बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं है. इसकी वजह से जदयू नाराज बताई जा रही है. ललन सिंह ने बीते दिनों कहा है कि उनकी पार्टी केंद्रीय मंत्रिमंडल में  शामिल नहीं होगी. जब पत्रकारों ने पूछा कि ऐसे में गठबंधन का भविष्य क्या है तो उन्होंने कहा कि कल किसने देखा है. ऐसे में संभव है कि जेडीयू केंद्रीय मंत्रिमंडल में अपना उचित हिस्सा पाने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स कर रही हो.


RJD, कांग्रेस और वामदलों के महागठबंधन का समर्थन?
इसके साथ ही अटकलें लगाई जा रही है कि जदयू, राजद, कांग्रेस और वामदलों के महागठबंधन के साथ जुड़कर दोबारा सरकार बना सकती है. सूत्रों ने दावा किया था कि नीतीश कुमार ने इस बाबत कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से संपर्क किया था. मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर शकील अहमद खान ने कहा- मैं व्यक्तिगत तौर पर मैं नीतीश कुमार को पसंद करता हूं. कांग्रेस विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि नीतीश कुमार सर्वमान्य नेता हैं.  इसके बाद गठबंधन की कयासों ने फिर से जोर पकड़ लिया है.


वहीं राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि तेजस्वी यादव हर हालात पर नजर बनाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि बिहार अपने लिए अच्छा फैसला करेगा. उनसे जब पूछा गया कि 'सरकार जा रही है?' तो राजद सांसद ने कहा कि उलझी हुई परिस्थिति में सुलझा हुआ जवाब नहीं हो सकता है.


बाहर से जदयू को समर्थन?
साल 2013 में जब जदयू और बीजेपी का गठबंधन टूटा तो राजद सरकार में शामिल तो नहीं हुई, लेकिन बाहर से समर्थन देकर उसे गिरने नहीं दिया और नीतीश कुमार सीएम बने रहे. फिर साल 2015 के विधानसभा चुनाव में दोनों दल एक साथ आए और बड़ी जीत हासिल की. समझा जाता है कि अगर राजद, जदयू और उसके भविष्य की नीतियों पर भरोसा करने में असफल रही तो सिर्फ सरकार बचाने के लिए नीतीश कुमार को समर्थन दे सकती है.


इन सबके बीच बिहार में विधानसभा की स्थिति की बात करें तो 243 सीटों वाली विधानसभा में 122 सीट बहुमत के लिए चाहिए. सत्ताधारी गठबंधन में बीजेपी 77, जेडीयू के 45, अन्य के 5 जोड़कर कुल 127 विधायक हैं. वहीं विपक्ष की बात करें तो राजद 79, कांग्रेस 19 और अन्य के पास 17 सीटें हैं जिनका कुल आंकड़ा 115 तक पहुंचता है.


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