गयाः कोरोना की दूसरी लहर में कई लोगों की नौकरी चली गई तो कितनों के धंधे चौपट हो गए. इस मुसीबत को अवसर में बदलकर बिहार के गया जिले के रहने वाले मनोज ने अपनी जिंदगी बदल ली है. जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर बाराचट्टी प्रखंड के भगहर गांव निवासी मनोज कुमार की सोभ बाजार में इलेक्ट्रॉनिक की दुकान थी और वे खुद ही सामान बनाते थे. इसी से उनका घर चल रहा था. राज्य में जब पहली बार लॉकडाउन लगा तो मनोज ने हिम्मत नहीं हारी बल्कि सोशल मीडिया का सहारा लिया और फिर सब बदल गया.


मनोज ने बताया कि लॉकडाउन के बाद व्यवसाय पूरी तरह से प्रभावित हो गया था. दिनभर घर में बैठकर यही सोचता था कि आगे की जिंदगी कैसे चलेगी. इसी बीच मोबाइल की आदत लगी और फिर यूट्यूब. यूट्यूब पर एक वीडियो देखकर उसने बायोफ्लॉक के जरिए मछली पालन करने के तरीके सीखे. मनोज ने कहा कि उसके पास उतनी जमीन भी नहीं थी कि वह तालाब बनाकर मछली पालन कर सके. इसी बीच बायोफ्लॉक की तकनीक से सीमेंटेड बॉक्स बनाकर मछली पालन का तरीका बताया गया. धीरे-धीरे उसका मछलीपालन के प्रति रुझान बढ़ता गया.


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रुझान के बाद ऑनलाइन कोर्स किया


मनोज का कहना है कि जब मछली पालन में रुझान बढ़ने के बाद उसने एक विश्वविद्यालय से ऑनलाइन प्रशिक्षण का कोर्स किया. इसके बाद थोड़ी सी जमीन में सीमेंटेड बॉक्स बनाकर बायोफ्लॉक तकनीक से मछलीपालन करने में जुट गया. करीब चार लाख रुपये की पूंजी लगी जिसमें दो लाख रुपये का लाभ छह महीने में हो गया. अब वह इसके साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक की दुकान भी चला रहा है.


सीसीटीवी से मछलियों की निगरानी


सबसे खास बात है कि मछलियों को देखने के लिए सीसीटीवी तक लगाया है. ऐसे में दुकान पर काम करने के साथ या कहीं से भी वह मछलियों को सीसीटीवी कैमरे के जरिए देख लेता है. कहा कि सीसीटीवी लगाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि सीमेंटेड बॉक्स में 24 घंटे ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होती है. पानी का तापमान भी देखना पड़ता है. इसके लिए अलग से मीटर लगा है. इन सब पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी से मदद मिलती है.


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