Sharda Sinha Making Statue From Sand: पटना में छठ घाट पर बालू के रेत से शारदा सिन्हा की प्रतिमा बना कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. छठ का तीसरा दिन पहला अर्ध्य है. छठ व्रती गंगा घाट पर डूबते सूर्य को और देने की तैयारी में जुटे तो बिहार कोकिला के नाम से प्रसिद्ध शारदा सिन्हा के निधन का शोक भी छठ घाट पर देखा जा रहा है. आज ही उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर राजकीय सम्मान के साथ किया गया है. 

निधन से लोगों में काफी मायूसी

दरअसल शारदा सिन्हा के इस तरह छठ के मौके पर निधन से लोगों में काफी मायूसी है. वो छठ गीतों के लिए प्रसिद्ध थीं और छठ के मौके पर ही अपने चाहने वालों को अलविदा कह गईं. इस बीच पटना के कंगन घाट पर साइन आर्ट के कलाकार मधुरेन्द्र कुमार ने गंगा की रेत से शारदा सिन्हा की प्रतिमा बनाकर श्रद्धांजलि दी. छठ के लिए घाट पर आने वाले लोग भी नम आंखों से शारदा सिन्हा की प्रतिमा देखते नजर आए. 

आपको बता दें कि आस्था का प्रतीक माना जाने वाला महापर्व छठ बिहार के साथ-साथ पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के छठ गीत आज भी हर घर में गूंजते हैं. अगर छठ के दौरान उनके गीत नहीं बजें तो पता ही नहीं चलता कि छठ पर्व मनाया जा रहा है. शारदा सिन्हा के निधन से बिहार के लोग खासे दुखी हैं. वो बिहार की बेटी और बहू दोनों थीं. उनके जाने से छठ पर्व पर लोगों को उनकी सुरीली खनकती आवाज की कमी खल रही है. 

आखिरी सांसों तक सुर को नहीं छोड़ा

बता दें कि उन्होंने अपनी आखिरी सांसों तक सुर को नहीं छोड़ा. शारदा सिन्हा की मृत्यु के बाद एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वो अपनी अवाज में कुछ गाने की कोशिश करती हुई सुनी जा रहीं है, आवाज में वही खनक कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा कि संगीत की मलिका इतने कष्ट में अपनी सुरीली आवाज से गा रही हैं. सासें थमने को थीं, लेकिन संगीत की चाहत शारदा के मन से नहीं हटी. 

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