बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिला वोटर्स को हर कोई अपनी तरफ करना चाहता है. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नीत भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) के घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और भारतीय जनता पार्टी नीत भारतीय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन दोनों ही महिलाओं का मत हासिल करने के लिए वादे कर रहीं हैं.

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राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने वादा किया है कि अगर RJD सत्ता में आती है, तो जीविका सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स में कम्युनिटी मोबिलाइज़र के तौर पर जुड़ी हर महिला को 30,000 रुपये की तन्ख्वाह वाली सरकारी नौकरी दी जाएगी, साथ ही 2,000 रुपए का एक्स्ट्रा अलाउंस और 5 लाख का रुपये इंश्योरेंस कवरेज भी दिया जाएगा. तेजस्वी का यह ऐलान सीधे तौर पर राज्य में सत्तारूढ़ NDA की मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को चुनौती देता है, जिसके तहत राज्य भर में 1.21 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं के बैंक अकाउंट में पहले ही 10,000 रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं. इससे 12,100 करोड़ का खर्च आया है.

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RJD के प्लान में राज्य के सभी डिपार्टमेंट में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को परमानेंट कर्मचारी बनाना भी शामिल है, इस कदम से 1.5 लाख लोगों को लाभ मिल सकती है. तेजस्वी की पिछली चुनावी गारंटी में हर घर के लिए एक सरकारी नौकरी का वादा किया गया था. यानी इस योजना के तहत 2.50 करोड़ परिवारों को लाभ देने की कोशिश की जाएगी. जिससे हर साल लगभग 9 लाख करोड़ रुपये का भार सरकारी खजाने पर आएगा. अकेले यही भार राज्य के मौजूदा सालाना बजट 3.17 लाख करोड़ रुपये से लगभग तीन गुना है.

जीविका दीदी: बिहार की पॉलिटिक्स में 'साइलेंट फोर्स'

बिहार में जीविका की अहमियत को कम करके नहीं आंका जा सकता. साल 2006 में शुरू होने के बाद से, इस स्कीम ने लगभग 1.40 करोड़ महिलाओं को समूह में शामिल किया गया है. इन स्वयं सहायता समूहों ने 56,000 करोड़ रुपये का बिज़नेस किया है, और इनमें से 31 लाख से ज़्यादा महिलाएं 'लखपति दीदी' बन गई हैं, जो हर साल एक लाख रुपये से ज़्यादा कमाती हैं. आज, राज्य की 3.50 करोड़ महिला मतदाताओं में से लगभग 40% जीविका दीदियां हैं.

जीविका कम्युनिटी मोबिलाइज़र इस नेटवर्क के लिए बहुत ज़रूरी हैं, वे ग्रुप मीटिंग ऑर्गनाइज़ करते हैं, फाइनेंशियल रिकॉर्ड बनाए रखती हैं और लोकल डेवलपमेंट को बढ़ावा देती हैं. हालांकि उन्हें अभी हर महीने 4,000 रुपये से 7,150 रुपये तक का मामूली मानदेय मिलता है.

NDA का रिकॉर्ड: दशकों से महिलाओं पर केंद्रित पॉलिसी

नीतीश कुमार की NDA सरकार का महिलाओं पर केंद्रित प्रोग्राम शुरू करने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है:

वर्ष 2006 में बिहार पहला राज्य था जिसने महिलाओं के लिए 50% पंचायत रिज़र्वेशन शुरू किया, साथ ही स्कूली लड़कियों की साइकिल और यूनिफॉर्म के लिए फाइनेंशियल स्कीम भी शुरू कीं.

हाई स्कूल ग्रेजुएट के लिए 25,000 रुपये की ग्रांट, महिला एंटरप्रेन्योर के लिए 5 लाख रुपये तक के बिज़नेस ग्रांट और लोन, और सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35% कोटे का प्रावधान है.

शराबबंदी पॉलिसी, महिला हाट (खास बाज़ार), पिंक बसें और टॉयलेट, और हाल ही में डोमिसाइल कोटा के सेंटर में महिलाएं रही हैं.

वर्ष 2025 तक, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने बिहार में ग्रामीण महिलाओं को 1.16 करोड़ से ज़्यादा LPG कनेक्शन बांटे.

वोटिंग में महिलाओं की ताकत

बिहार की महिला वोटर वोटिंग के मामले में पुरुषों से तेजी से आगे निकल रही हैं. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में, महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत वर्ष 2010 में 54.5% से बढ़कर साल 2015 में 60.5% और वर्ष 2020 में 59.7% हो गया है-जो लगातार पुरुषों के आंकड़ों से ज़्यादा है. साल 2020 में, 243 में से 166 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था. NDA ने इन महिला-बहुल मतदान वाले चुनावी क्षेत्रों से 125 में से 99 सीटें जीतीं, जो इस गठबंधन के लिए एक स्थापित वोट बैंक की ओर इशारा करता है. मधुबनी, सुपौल, सीतामढ़ी और दरभंगा जैसे खास जिलों में, NDA का दबदबा सीधे तौर पर महिलाओं की ज्यादा भागीदारी से जुड़ा है.

जातिवार डेटा देखें तो इससे यह भी पता चलता है कि NDA ने ऊंची जाति, OBC और दलित महिलाओं के बीच अपनी बढ़त बनाए रखी है, जबकि RJD को यादव और मुस्लिम महिलाओं का जबरदस्त सपोर्ट मिल रहा है. मुकाबला इतना कड़ा है कि महिलाओं के वोटों में कुछ परसेंटेज पॉइंट कई अहम सीटों पर चुनावी संतुलन बदल सकते हैं.

बिहार में नौकरियां, बजट और कमियां

बिहार की राज्य सरकार में अभी लगभग 4.73 लाख सरकारी नौकरियों के पद खाली हैं. इसमें सबसे ज्यादा कमी शिक्षा और पुलिस सेक्टर में है. दोनों पक्ष- NDA और INDIA चुनावी जीत के लिए महिलाओं के एम्पावरमेंट को ज़रूरी मानते हैं. हर नया ऑफर और स्कीम-एनडीए के सीधे कैश ग्रांट से लेकर आरजेडी के बड़े जॉब वादे तक-उस 'साइलेंट फोर्स' के वोट पाने के उनके पक्के इरादे को दिखाता है, जिसने बार-बार बिहार की पॉलिटिक्स को बदला है.