बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी की राजनीतिक परीक्षा होने वाली है. एनडीए के घटक दल के रूप में मांझी की पार्टी को कुल छह सीटें मिली हैं, जिन पर 11 नवंबर को मतदान होना है. इन सीटों में गया की इमामगंज, बाराचट्टी, टिकारी, अतरी, जमुई की सिकंदरा और औरंगाबाद की कुटुम्बा शामिल हैं. इनमें अतरी सीट इस बार हम के खाते में नई आई है, जबकि बाकी पांच सीटों पर पार्टी ने पिछले चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारे थे.

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इन छह सीटों में चार पर हम का सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से है, जबकि कुटुंबा सीट पर कांग्रेस और सिकंदरा में हम के खिलाफ राजद और कांग्रेस दोनों के उम्मीदवार मैदान में हैं. इससे कई सीटों पर बहुकोणीय मुकाबले की स्थिति बन गई है.

इमामगंज सीट पर दीपा मांझी का ऋतु प्रिया चौधरी से सीधा मुकाबला

गया की इमामगंज सीट पर मांझी की बहू और मौजूदा विधायक दीपा मांझी का मुकाबला राजद की ऋतु प्रिया चौधरी से है. बाराचट्टी में मांझी की समधन ज्योति देवी के सामने राजद की तनुश्री मांझी चुनावी मैदान में हैं. अतरी से हम के रोमित कुमार को राजद की वैजयंती देवी चुनौती दे रही हैं, जबकि टिकारी सीट पर हम के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार के खिलाफ राजद के अजय दांगी मैदान में हैं. औरंगाबाद की कुटुंबा सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा विधायक राजेश राम का सामना हम के ललन राम से होगा.

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सिकंदरा सीट पर होगा सबसे दिलचस्प मुकाबला

सबसे दिलचस्प मुकाबला गया की सिकंदरा सीट पर देखने को मिल रहा है, जहां हम के विधायक प्रफुल्ल कुमार मांझी के सामने महागठबंधन के दो-दो उम्मीदवार हैं. राजद ने यहां से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने विनोद चौधरी को उतारा है. इस ‘दोस्ताना लड़ाई’ से हम की राह कुछ आसान हो सकती है. हालांकि, पिछली बार की तरह इस बार भी मुकाबला बेहद नजदीकी रहने की संभावना है, क्योंकि हम ने पिछली बार जिन चार सीटों पर जीत दर्ज की थी, वहां जीत का अंतर महज ढाई से छह हजार वोटों के बीच रहा था.

अपनी संपत्ति को लेकर चर्चा में वीआईपी उम्मीदवार

वहीं, पश्चिमी चंपारण के लौरिया विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) उम्मीदवार रणकौशल प्रताप सिंह अपनी संपत्ति को लेकर चर्चा में हैं. नामांकन के दौरान दिए गए हलफनामे के अनुसार, वे 373 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं. उनके पास कई जिलों में दर्जनों प्लॉट, 12 कमर्शियल बिल्डिंग और करोड़ों रुपये के शेयर निवेश हैं. इसके अलावा, उन पर 14.48 करोड़ रुपये का बैंक लोन भी है.

दूसरे चरण का चुनाव न केवल मांझी की राजनीतिक ताकत को परखेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि एनडीए के इस दल की ग्रामीण इलाकों में कितनी पकड़ बची है.