बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, राजनीतिक हलचल भी तेज होती जा रही है. सभी दल अपने एजेंडे तय करने में व्यस्त हैं और सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. इसी बीच भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह और उनकी पत्नी ज्योति सिंह के बीच विवाद राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है.

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हाल ही में लखनऊ में पवन सिंह के घर पहुंची ज्योति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वह भावुक और रोती नजर आईं. इस वीडियो के बाद पवन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर खुद को और ज्योति पर लगे आरोपों को लेकर सफाई दी. इस घटना ने बिहार की राजनीतिक फिजा में नया मोड़ ला दिया है.

पवन सिंह की पत्नी ने प्रशांत किशोर से की मुलाकात

शुक्रवार (10 अक्टूबर) को ज्योति सिंह की जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर से मुलाकात हुई. दोनों पक्षों ने इस मुलाकात को व्यक्तिगत और पारिवारिक मामले तक सीमित बताया, लेकिन इसके राजनीतिक मायने भी कम नहीं हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि यह उनका पारिवारिक मामला है और अगर किसी ने ज्योति को धमकाया या परेशान किया, तो जनसुराज पार्टी उनके साथ खड़ी रहेगी. ज्योति सिंह ने स्पष्ट किया कि यह मुलाकात चुनावी या टिकट से संबंधित नहीं थी, बल्कि उनका मकसद न्याय की गुहार लगाना था. उन्होंने कहा कि जो मेरे ऊपर बीत रहा है, वह किसी और बिहार की महिला पर न हो.

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राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस मुलाकात से प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी को अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकता है. हालांकि, पीके ने कहा कि पवन सिंह उनके दोस्त हैं और यह मामला पारिवारिक है, फिर भी राजनीतिक विश्लेषक इसे जनसुराज के लिए फायदेमंद मान रहे हैं. यह भी माना जा रहा है कि सोशल मीडिया पर ज्योति के लिए न्याय की मांग बढ़ने से महिला वोट बैंक पर असर पड़ेगा, जो नीतीश कुमार के साथ खड़ा है.

भोजपुर या रोहतास जिले से चुनाव लड़ सकती है ज्योति सिंह

सियासी रणनीति की दृष्टि से देखा जाए तो, प्रशांत किशोर ज्योति सिंह को भोजपुर या रोहतास जिले की किसी विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतार सकते हैं. भोजपुर में अगर पवन सिंह आरा से चुनाव लड़ते हैं, तो ज्योति सिंह को किसी अन्य सीट पर उतारकर महिला वोट बैंक और राजपूत वोट बैंक दोनों पर असर डाला जा सकता है. रोहतास जिले में दिनारा, नोखा, डेहरी, सासाराम, काराकाट और करगहर जैसी सीटों पर अभी उम्मीदवारों की घोषणा बाकी है. विशेषकर कराकाट सीट पर पवन और ज्योति पहले एक साथ चुनाव प्रचार कर चुके हैं, इसलिए ज्योति सिंह का वहां से चुनाव लड़ना प्रशांत किशोर के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकता है.

हालांकि प्रशांत किशोर ने राजनीतिक संकेतों से इनकार किया है, लेकिन सियासी विश्लेषक मानते हैं कि उनका उद्देश्य साफ है. सत्ता में न होने के बावजूद प्रशांत किशोर इस मामले को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. एक तरफ महिला वोट बैंक को साधा जाएगा और दूसरी तरफ एनडीए और पवन सिंह के प्रभाव को कमजोर किया जा सकेगा. इससे पीके की पार्टी को चुनावी लाभ मिलने की संभावना बढ़ जाएगी.

पवन सिंह और ज्योति के बीच बढ़ सकता है विवाद

राजनीतिक हलचल और टिकटों की घोषणा के बीच यह मुलाकात बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के समीकरण बदलने की क्षमता रखती है. पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच पारिवारिक विवाद अब सियासी मोड़ लेने की दिशा में बढ़ता दिख रहा है. प्रशांत किशोर की रणनीति के अनुसार, इस मामले को केवल पारिवारिक समस्या नहीं बल्कि चुनावी हथियार में बदला जा सकता है. आगामी चुनाव में यह देखा जाएगा कि जनसुराज पार्टी इस मौके का कितना लाभ उठा पाती है और बिहार की सियासी तस्वीर किस दिशा में बदलती है.

कुल मिलाकर, ज्योति सिंह और प्रशांत किशोर की यह मुलाकात सिर्फ पारिवारिक न्याय के लिए नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति और महिला वोट बैंक को साधने की तैयारी के तौर पर भी देखी जा रही है. यह घटना स्पष्ट करती है कि बिहार चुनाव 2025 में सिर्फ पार्टियों के एजेंडे ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत और पारिवारिक विवाद भी चुनावी रणनीति का हिस्सा बन सकते हैं.