बिहार का समस्तीपुर जिला राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से हमेशा सक्रिय रहा है. इसी जिले में स्थित विभूतिपुर  विधानसभा सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की मजबूत पकड़ है. इस सीट पर सिर्फ एक बार एनडीए की सहयोगी पार्टी जदयू जीत दर्ज करा पाई है, लेकिन पिछले चुनाव में वह इस सीट को बरकरार नहीं रख पाई.

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सीपीआई का गढ़ रही है विभूतिपुर सीट 

1967 में जब इस विधानसभा क्षेत्र की नींव पड़ी, तब से लेकर आज तक यहां कई पार्टियों का शासन रहा. शुरुआत हुई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से, जब परमानंद सिंह मदन पहले विधायक बने. इसके बाद 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से गंगा प्रसाद श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की.

1972 और 1977 में बंधू महतो ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जीत हासिल की. फिर 1980 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई‑एम) के रामदेव वर्मा विधायक बने और 1990 के बाद से लंबे समय तक वे ही इस सीट पर काबिज रहे. 2010 और 2015 में जदयू के रामबालक सिंह ने सीट जीती, लेकिन 2020 में जनता ने फिर से वामपंथ को मौका दिया, जब सीपीआई-एम के अजय कुमार ने रामबालक सिंह को 40,496 वोटों के भारी अंतर से हराया.

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2020 का चुनाव कई मायनों में अहम रहा. मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से परिवर्तन को चुना और अजय कुमार को भारी बहुमत दिया. सीपीआई-एम से अजय कुमार को 73,822 वोट मिले, जबकि जदयू उम्मीदवार रामबालक सिंह को 33,326 वोट मिले. इस चुनाव में एलजेपी के चंद्रबली ठाकुर तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें 28,811 वोट मिले. इस सीट का वोटिंग प्रतिशत 60.93 रहा. इस सीट के लिए 2020 में 384 मतदान केंद्र बनाए गए थे.

विभूतिपुर पूरी तरह से ग्रामीण इलाका है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के 47,689, अनुसूचित जनजाति 108 और मुस्लिम मतदाता लगभग 16,974 हैं. विभूतिपुर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मुख्य रूप से कृषि पर टिकी हुई है. यहां की उपजाऊ मिट्टी में धान, गेहूं, मक्का और दालों की भरपूर खेती होती है, जो क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों का आधार है. हालांकि, केवल खेती ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे लघु उद्योग और हस्तशिल्प भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देते हैं.

विभूतिपुर से लगभग 9 किलोमीटर दूर रोसड़ा नाम का एक उपखंड स्तर का कस्बा है, जो क्षेत्रीय व्यापार और वाणिज्य का प्रमुख केंद्र माना जाता है. वहीं, जिला मुख्यालय समस्तीपुर 27 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि मंडल मुख्यालय दरभंगा सड़क मार्ग से लगभग 125 किलोमीटर दूर स्थित है। यह दूरी क्षेत्र के विकास और सुविधाओं के मामले में चुनौतियां भी लेकर आती है.

विभूतिपुर सीट पर राजनीतिक लड़ाई रोचक

इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में विभूतिपुर सीट पर राजनीतिक लड़ाई काफी रोचक होने वाली है. महागठबंधन, खासकर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) इस सीट पर स्पष्ट बढ़त बनाए हुए है, लेकिन अगर एनडीए अपनी रणनीति को मजबूत बनाए और जातिगत समीकरणों का सही संतुलन बनाकर सही उम्मीदवार मैदान में उतारे तो चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं.

विभूतिपुर की राजनीति में जाति, संगठन और चुनावी रणनीति का समन्वय ही विजेता को जन्म देता है. इसलिए उम्मीदवार की छवि, पार्टी की पकड़ और सामाजिक समीकरणों को भांपना इस सीट पर जीत की कुंजी साबित होगा.

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