बिहार में भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल की है. मौजूदा प्री पोल अलायंस के हिसाब से एनडीए ने 202 सीटें हासिल की हैं. बीजेपी 89, जेडीयू 85, एलजेपीआर 19, हम 5 और आरएलएम को 4 सीटें मिली हैं. हालांकि अगर बीजेपी चाहे तो वह बिना जनता दल यूनाइटेज और नीतीश कुमार के सरकार बना सकती है. इसके लिए वह राज्य में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का फॉर्मूला इस्तेमाल कर सकती है.
मौजूदा संख्याबल में से अगर जेडीयू को बाहर निकाल दें तो ये संख्या (202-85 ) 117 तक पहुंचती है. अगर बीजेपी बहुजन समाज पार्टी और और आईआईपी के एक-एक विधायक को अपने पाले में कर ले तो ये संख्या 119 पहुंच जाएगी. जो बहुमत के जादुई आंकड़े से महज़ तीन सीटें कम रहेंगी.
अब महाराष्ट्र फॉर्मूले को जानिए, ये है साम-दाम-दंड-भेद यानी किसी भी कीमत पर, कैसे भी सरकार का गठन करना है. यानी विपक्षी पार्टी के कुछ विधायकों को अपनी ओर मिला लेना या किसी बड़े दल में कुछ विधायकों के इस्तीफे दिला दिए जाएं.
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अब यहां कई मुमकिन विकल्प हैं. हाालंकि तीन ऑप्शन ऐसे हैं जहां कामयाबी की गारंटी ज्यादा है-
याद रहे कि सियासी तजुर्बे से हम ये मानकर चल रहे हैं कि बीएसपी और आईआईपी बीजेपी के साथ आसानी से हो जाएंगे. पिछली बार भी बीएसएपी के एक मात्र विधायक सत्ता पक्ष के रथ पर सवार हुए थे.
पहला ऑप्शन- लेफ्ट और AIMIM को तोड़ना, ये अभी नामुमकिन खेल लग रहा है. लेफ्ट विचारधारा की पार्टी है, और इनके विधायकों को तोड़ना हिमालय में सुराख करने जैसा है, लेकिन AIMIM सॉफ्ट टारगेट है, लेकिन इस बार जरा मुश्किल लग रहा है. इसलिए फिलहाल हम इसे नहीं छेड़ते हैं, लेकिन सियासत के खेल में किसी छोटी पार्टी के विधायकों का टूट जाना, पार्टी बदल लेना और नई वफादारी को कबूल कर लेना कपड़े बदलने जैसा है.
दूसरा विकल्प- कांग्रेस पार्टी के पास सिर्फ 6 विधायक हैं, इसे तोड़ना आसान है या कुछ विधायकों को इस्तीफे दिला दिए जाएं.
तीसरा ऑप्शन- जेडीयू और आरजेडी को तोड़ना, जो नामुमकिन है, लेकिन इनके कुछ विधायकों के इस्तीफे दिलाकर विधानसभा की कुल ताकत को कम कर दिया जाए. यानी सरकार बनाने के जादुई आंकड़े को 122 से घटा दिया. इस तरह से फटाफट सरकार बनाने का रास्ता मुमकिन है और अतीत में ये काम बीजेपी का मौजूदा नेतृत्व बड़ी कामयाबी और आसानी के साथ कर चुका है. महाराष्ट्र इसका जीता जागता उदाहरण है.
दूसरा और तीसरा ऑप्शन आसानी से कामयाब हो सकता है. यानी सरकार का गठन मुमकिन है, लेकिन इसमें एक पेच है- केंद्र की मौजूदा गठबंधन सरकार जेडीयू के समर्थन पर टिकी है, इसलिए बीजेपी नेतृत्व फिलहाल ऐसे किसी खेल को हरी झंडी न दे, लेकिन नीतीश कुमार को काबू में रखने और उनपर अपना पूरा कंट्रोल जरूर रखेगी.
क्या है महाराष्ट्र और एमपी का फॉर्मूला?
बस याद दिला दें कि महाराष्ट्र में 2019 के चुनाव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन शिवसेना और एनसीपी के दो गुटों से मिलकर और तोड़ जोड़कर सरकार चलाई. इसी तरह से मध्य प्रदेश में 2018 के चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला, लेकिन साम दाम दंड भेद के जरिए बीजेपी की सरकार बना दी. ये याद रहे कि जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता थी तो वो इस खेल की माहिर खिलाड़ी रही है. मुमकिन है बीजेपी ने ये खेल कांग्रेस से ही सीखा हो.