बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान से पहले नेताओं के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. हाजीपुर में आयोजित एक चुनावी सभा के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राजद उम्मीदवार देव कुमार चौरसिया पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे व्यक्ति विधायक बन गए, तो मंगलसूत्र उजारवा भी देगा और छिनवा भी देगा.

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दरअसल, नित्यानंद राय अपने समर्थक और मौजूदा विधायक अवधेश सिंह के पक्ष में चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे. इसी दौरान सभा में मौजूद एक मतदाता ने अपनी दर्दभरी कहानी सुनाई. उसने बताया कि 2017 में जब उसकी पत्नी बीएड कर रही थी, तो वह देव कुमार चौरसिया के कॉलेज में पढ़ती थी. पहले सेमेस्टर में एडमिशन हो गया, लेकिन दूसरे सेमेस्टर की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे. मजबूरी में उसे अपनी पत्नी का कान का झुमका और मंगलसूत्र बेचकर फीस चुकानी पड़ी. व्यक्ति ने कहा कि हमारी पत्नी टीचर बन गई, लेकिन मैं आज भी उस दर्द को नहीं भूल सका. कृपया देव कुमार चौरसिया को वोट मत दीजिए.

अवधेश सिंह विधायक बना तो उजारवा देगा मंगलसूत्र - नित्यानंद राय

हाजीपुर के मतदाता की कहानी सुनने के बाद नित्यानंद राय ने राजद उम्मीदवार पर करारा तंज कसा. उन्होंने कहा कि जिस कॉलेज में एक गरीब आदमी को अपनी पत्नी का मंगलसूत्र बेचना पड़े, उस कॉलेज के मालिक को विधायक बनाने का क्या मतलब है. अगर वह व्यक्ति जीत गया, तो वह लोगों से मंगलसूत्र उजारवा और छिनवा भी देगा. राय ने कहा कि ऐसे उम्मीदवार जनता का नहीं, अपने स्वार्थ का रिश्ता निभाएंगे. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे ऐसे अत्याचारी लोगों को सबक सिखाएं.

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महिला के सवाल का राय ने सरलता से दिया जवाब

सभा के दौरान नित्यानंद राय ने एक और दिलचस्प प्रसंग साझा किया. उन्होंने बताया कि गृहमंत्री अमित शाह ने उनसे कहा था कि रांची में जो हेलीकॉप्टर खड़ा है, उसे लेकर एक दिन उड़ान भर लो. इस पर राय ने कहा कि वे पहले भी अमित शाह के साथ हेलीकॉप्टर में चढ़ चुके हैं. राय ने यह बात इसलिए बताई क्योंकि चुनावी दौरे के दौरान उनसे एक महिला मतदाता ने मजाक में कहा था कि आपको कभी हेलीकॉप्टर पर चढ़ने का मौका मिला है. इसी पर उन्होंने हंसते हुए पूरा किस्सा जनता से साझा किया.

बिहार की सियासत में चुनावी प्रतीक बना मंगलसूत्र का मुद्दा

इस बयान के बाद बिहार की सियासत में मंगलसूत्र नया चुनावी प्रतीक बन गया है. जहां बीजेपी इसे गरीबों के सम्मान और आस्था से जोड़ रही है, वहीं राजद इस बयान को भावनात्मक मुद्दा बनाकर पलटवार की तैयारी में है. स्पष्ट है कि हाजीपुर की लड़ाई अब विकास और वादों से आगे बढ़कर भावनाओं और प्रतीकों की जंग बन चुकी है.